वैज्ञानिकों ने की टिश्‍यूज को कैंसर ग्रस्‍त करने वाले अहम प्रोटीन की पहचान, इलाज में मिलेगी मदद

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है जो उत्‍तकों को कैंसर ग्रस्‍त करने में बड़ी भूमिका निभाता है। वैज्ञानिक अब इसी प्रोटीन को लक्ष्‍य बनाते हुए कैंसर के इलाज को संभव और तेज बनाने की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 09:44 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 09:44 AM (IST)
वैज्ञानिकों ने की टिश्‍यूज को कैंसर ग्रस्‍त करने वाले अहम प्रोटीन की पहचान, इलाज में मिलेगी मदद
कैंसर के इलाज की दिशा में मिली एक नई कामयाबी

वाशिंगटन (एएनआइ)। कैंसर के इलाज की दिशा में एक नई कामयाबी मिली है। विज्ञानियों ने कैंसर के ट्यूमर में एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है, जो सामान्य ऊतकों (tissues) को कैंसर ग्रस्त बनाने में अहम भूमिका निभाता है। अब इस प्रोटीन को लक्षित कर कैंसर का इलाज किया जाना संभव हो सकता है। यह खोज मस्तिष्क, रक्त, त्वचा तथा किडनी जैसे अंगों के कैंसर के लिए खासतौर पर अहम हो सकता है, जहां कैंसर बहुत तेजी से फैलता है। यह शोध मोलेक्युलर सेल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

यह खोज यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज के वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट तथा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने की है। उनके मुताबिक, इस प्रोटीन को खत्म करने वाली या इसके बनने को रोकने वाली दवा विकसित कर कैंसर का प्रभावी इलाज किया जा सकता है। चूहों पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि इस प्रोटीन को रोकने से कैंसर सेल नष्ट हुआ और स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान भी नहीं हुआ।

यह शोध इस बात को सुनिश्चित करने वाला है कि एमईटीटीएल1 नामक इस प्रोटीन को बनने से आरएनए-माडीफाइंग आधारित दवा विकसित कर रोका जा सकता है, जिससे कैंसर का एक नया इलाज मिल सकता है। एमईटीटीएल फैमिली में आरएनए-माडीफाइंग प्रोटीन कोशिकाओं के वृद्धि में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये प्रोटीन कुछ खास प्रकार के कैंसर सेल में पाए जाते हैं। इनमें मस्तिष्क, रक्त, अग्नाशय (पैंक्रियाज) तथा त्वचा के कैंसर भी शामिल हैं।

शोधकर्ता डाक्टर त्जेलेपिस ने यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज तथा वेलकम सैंगर इंस्टीट्यूट के अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सीआरआइपीआर-सीएएस9 नामक तकनीक के इस्तेमाल से कैंसर सेल के कमजोर स्थानों की खोज की थी। अगले चरण में शोधकर्ताओं ने एमईटीटीएल1 जीन की पहचान की, जो आरएनए-माडीफाइंग एमईटीटीएल1 प्रोटीन का उत्पादन करता है। अब एक ऐसी दवा विकसित की जानी है, जो इसे निशाना बना सके। शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में यह भी पाया है कि एमईटीटीएल1 जीन में म्यूटेशन से उच्चतर स्तर का एमईटीटीएल1 प्रोटीन बनता है, जो कोशिकाओं को बहुत तेजी से बढ़ाता है और इसी कारण ट्यूमर भी तेजी बढ़ता है।

शोधकर्ताओं ने जब उक्त जीन को बाहर कर एमईटीटीएल1 प्रोटीन का बनना रोक दिया तो पाया कि कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं की वृद्धि रुक गई और सबसे खास बात यह कि इससे सामान्य या रोग मुक्त कोशिकाओं को कोई नुकसान भी नहीं हुआ। ये दोनों ही प्रयोग इस बात के संकेत हैं कि कैंसर के इलाज में इसे नष्ट करना एक सटीक लक्ष्य हो सकता है।

इतना ही, शोधकर्ताओं की टीम ने हाल ही में एक ऐसे ही प्रोटीन- एमईटीटीएल3 को बनने से रोकने वाले एक मोलेक्युल इन्हिबिटर भी विकसित कर लिया है, जिससे रक्त और बोनमैरो के गंभीर कैंसर (एक्यूट मायेलायड ल्यूकेमिया) के इलाज में मदद मिली है और 2022 में इसका क्लिनिकल ट्रायल भी किए जाने की संभावना है। इससे यह उम्मीद जग रही है कि आगे के शोध में कोई ऐसी दवा विकसित की जा सकेगी, जो एमईटीटीएल1 को खत्म करने में सक्षम होगी और कैंसर का एक नया इलाज उपलब्ध होगा।

कैंसर सेल में एमईटीटीएल1 प्रोटीन की बढ़ी हुई मात्र की वजह से उसका इस्तेमाल एक बायोमार्कर की तरह भी किया जा सकता है और उससे इलाज का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। दवा के विकास में क्लिनिकल ट्रायल में भी मदद मिलेगी कि किस रोगी पर दवा का कितना असर होगा।

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