कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से मजबूत कर देता है संक्रमण, जानें बीमारियों से खुद को कैसे बचाता है शरीर

यूनिवर्सिटी आफ एरिजोना हेल्थ साइंसेज के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जिसमें कोई संक्रमण कमजोर पड़ चुकी प्रतिरक्षा प्रणाली को फि‍र से मजबूत बना देता है। यह अध्‍ययन उपचार की नई संभावनाओं को जन्‍म देता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 04:44 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 10:49 PM (IST)
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से मजबूत कर देता है संक्रमण, जानें बीमारियों से खुद को कैसे बचाता है शरीर
संक्रमण कमजोर पड़ चुकी प्रतिरक्षा प्रणाली को फि‍र से मजबूत बना देता है।

एरिजोना, एएनआइ। यूनिवर्सिटी आफ एरिजोना हेल्थ साइंसेज के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिसमें संक्रमण कमजोर पड़ चुकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर देता है। यह नई प्रतिरक्षा चिकित्सा के विकास की संभावनाओं को भी जन्म देता है। अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। संक्रमण पैदा करने वाले वायरस, बैक्टीरिया व पैरासाइट्स से मुकाबले के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली टी सेल व व्हाइट ब्लड सेल का इस्तेमाल करती है।

पूर्व के शोध में यूनिवर्सिटी आफ एरिजोना कालेज आफ मेडिसिन में प्रोफेसर जैंको निकोलिस-जुगिस ने टी सेल की संख्या और क्रियाशीलता को आंका था। उन्होंने पाया था कि जिन टी सेल का संक्रमण से कभी मुकाबला नहीं हुआ वे समय के साथ कमजोर होते चले गए। जुगिस ने कहा, 'समय के साथ जो कोशिकाएं सबसे ज्यादा विघटित होती हैं, वे हैं टी सेल।' वह कहते हैं, 'नया अध्ययन बताता है कि संक्रमण की मौजूदगी में टी सेल की क्रियाशीलता बढ़ी और उनके विघटित होने की अवधि में भी इजाफा हुआ।'

प्रोफेसर जैंको निकोलिस-जुगिस ने कहा कि इस अध्‍ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि रोजाना जर्म (रोगाणु) के संपर्क में आना भी आपके बच्चों की सेहत के लिए बेहतर हो सकता है। इसका मतलब है कि जब प्रतिरक्षा प्रणाली को एक नए संक्रमण का सामना करना पड़ता है... जैसे कि SARS-CoV-2 या इन्फ्लूएंजा का नया वैरिएंट तो टी-कोशिकाएं तेजी से प्रतिक्रिया करने और बेहतर सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगी।

प्रोफेसर जैंको निकोलिस-जुगिस ने कहा कि अध्ययन से पता चला कि किसी संक्रमण ने न केवल टी-कोशिकाओं की संख्या को बेहतर बनाए रखा वरन इसने उन्हें सतर्कता की बेहतर स्थिति में भी डाल दिया। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि आगे हम य‍ह निर्धारण करने में सक्षम होंगे कि संक्रमण के संपर्क में टी-कोशिकाओं की प्रतिक्रिया कितने समय तक चली। यह कई या लगातार संक्रमणों की उपस्थिति पर निर्भर करता है 

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