जीवन के लिए जरूरी बैक्टीरिया के भी वायरल संक्रमण की हो सकेगी जांच, वैज्ञानिकों ने विकसित किया खास टूल
मानव में कोरोना वायरस की जांच की तर्ज पर अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक ऐसी जांच विकसित की है जिससे जीवन के लिए अच्छे माने जाने वाले बैक्टीरिया के वायरल संक्रमण की जांच की जा सकेगी। पढ़ें यह रिपोर्ट...
न्यूयार्क, आइएएनएस। मानव में कोरोना वायरस की जांच की तर्ज पर शोधकर्ताओं ने एक ऐसी जांच विकसित की है, जिससे जीवन के लिए अच्छे माने जाने वाले बैक्टीरिया के वायरल संक्रमण की जांच की जा सकेगी। अमेरिका के जॉन हॉपकिंस के साराह प्रेहिम समेत अन्य शोधकर्ताओं के मुताबिक, महामारी ने यह साबित किया है कि कुछ वायरस लोगों के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं और कुछ ऐसे भी हैं, जो जीवन के लिए जरूरी बैक्टीरिया को भी संक्रमित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस टेस्टिंग टूल से हम वायरल संक्रमण को आसानी से ट्रैक कर सकते हैं और उन पर नजर रख कर उनके महत्वपूर्ण पर्यावरणीय निष्कर्ष के बारे में भी जान पाएंगे। पारंपरिक तौर पर बैक्टीरिया में वायरल संक्रमण की जांच दोनों की कल्चर जांच पर आधारित है, जिसमें वातावरण में पाए जाने वाले 99 फीसद बैक्टीरिया पकड़ से बाहर हो जाते, क्योंकि वे कल्चर में विकसित नहीं हो पाते हैं।
प्रमुख शोधकर्ता अमेरिका के इरिक साकोव्स्की के अनुसार, अनकल्चर्ड बैक्टीरिया के वायरल संक्रमण की जांच काफी महंगी और कठिन है। लेकिन नए तरीके से अनकल्चर्ड बैक्टीरिया में वायरल संक्रमण की जांच सस्ती और तेज होगी, जिसमें एकल बैक्टीरिया सेल को अलग करने बाद वायरस और बैक्टीरिया के जीन को मिलाकर उसकी जांच की जा सकती है।
नेचर माइक्रोबायोलॉजी नामक एक पत्रिका में प्रकाशित आलेख में उन्होंने बताया कि दोनों के जीन को मिलाकर हम यह पता लगा सकते हैं कि कौन सा बैक्टीरिया संक्रमित है। इससे इसकी जानकारी भी मिल सकती है कि बैक्टीरिया की कितनी आबादी वायरस संक्रमित है।
यही नहीं समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने दो ऐसे कैलकुलेटर बनाए हैं जिनसे कोरोना संक्रमित रोगियों के अस्पताल में वेंटीलेटर की जरूरत या मौत के खतरे का पता लगाया जा सकेगा। इन शोधकर्ताओं में एक भारतीय मूल के भी विज्ञानी हैं। ई-क्लिनिकल मेडिसीन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक इन मॉडलों के माध्यम से डॉक्टर कोरोना संक्रमित रोगियों के खतरे को बेहतर तरीके से जान पाएंगे।