कार्बन डाइऑक्साइड से बनेगा ईंधन, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को करेगा कम

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कैटलिस्ट विकसित किया है जो कार के पाइप और अन्य स्नोतों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को ईंधन में बदल सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 09:31 AM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 09:31 AM (IST)
कार्बन डाइऑक्साइड से बनेगा ईंधन, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को करेगा कम
कार्बन डाइऑक्साइड से बनेगा ईंधन, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को करेगा कम

बोस्टन, प्रेट्र। कल्पना कीजिए कि हम जिस कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कर रहे हैं उसे र्ईंधन में बदल सकें तो क्या होगा? इससे न केवल हम कई बीमारियों से बच सकेंगे, बल्कि हमारे पास प्राकृतिक गैस के विकल्प भी मौजूद होंगे। भले ही यह एक कल्पना लगे, लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत में बदल दिया है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) विकसित किया है, जो कार के पाइप और अन्य स्नोतों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को ईंधन में बदल सकता है।

हाल के कई अध्ययनों में वैज्ञानिकों को इस दिशा में कुछ हद तक सफलता भी मिली थी, लेकिन अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों के नवीनतम दृष्टिकोण से मौजूदा तरीकों की तुलना में चार गुना अधिक इथेन, प्रोपेन और ब्यूटेन का उत्पादन किया जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि इसे तैयार करने का तरीका भी अन्य प्रक्रियाओं जैसा ही है। अंगेवांडटे केमी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह तरीका प्रदूषित जलवायु को पूरी तरह साफ नहीं कर सकता, लेकिन इससे ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

प्रयोगशाला में मिली सफलता

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और इस अध्ययन के नेतृत्वकर्ता मैटेओ कारगेल्लो ने कहा, ‘अब हम कार्बन के एक ऐसे चक्र की कल्पना कर सकते हैं, जहां कार्बन डाइऑक्साइड से ईंधन का उत्पादन कर उसे जलाया जा सकता है और उससे दोबारा नए कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण होता है और उसे फिर से ईंधन में बदला जा सकता है।’ हालांकि, शोधकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को प्रयोगशाला में सिद्ध किया है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में इसका उपयोग पर्याप्त मात्रा में र्ईंधन के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

जहरीले उत्पादकों में कमी लाना लक्ष्य

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘अब उनका अगला कदम ईंधन के निर्माण के दौरान उत्पन्न होने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे जहरीले उत्पादकों में कमी लाना है। इस तरीके से शोधकर्ताओं की टीम ईंधन के साथ-साथ अन्य लाभदायक उत्पादों को विकसित करने के लिए प्रयासरत है। इन उत्पादों में एक है एल्कीन, जिसका औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रयोग होता है। इसका मुख्य घटक प्लास्टिक होता है।

दो चरणों में बनाया जाता है र्ईंधन

शोधकर्ताओं ने बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड को ईंधन में बदलने की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है। पहले चरण में कार्बन मोनोऑक्साइड को कार्बन डाइऑक्साइड कम करता है। दूसरे में हाइड्रोकार्बन ईंधन बनाने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड को हाइड्रोजन के साथ जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि इन ईंधनों में मीथेन बनाना सबसे सरल था, लेकिन अन्य ईंधनों का उत्पादन ईथेन, प्रोपेन और ब्यूटेन की मदद से किया गया।

गैसों का इन क्षेत्रों में होता है प्रयोग

शोधकर्ताओं ने कहा कि ईथेन का प्राकृतिक गैसों से करीबी संबंध है। इसका प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले एथिलीन के लिए किया जा सकता है। प्रोपेन का प्रयोग सामान्यत: बिजली संयंत्रों में किया जाता है, जबकि ब्यूटेन का प्रयोग स्टोव जलाने के लिए किया जाता है। ऐसे तैयार किया उत्प्रेरक: कार्गेलो ने बताया, ‘ ईंधन बनाने के लिए चरणों में काम करने की बजाय हम एक ही प्रक्रिया में दोनों चरणों को पूरा कर सकते हैं, जो ज्यादा प्रभावी भी है। इसके लिए हमने एक नया उत्प्रेरक बनाया, जो एक ऑक्सीजन अणु को कार्बन डाइऑक्साइड से अलग कर सकता है और इसे हाइड्रोजन के साथ जोड़ सकता है।’

chat bot
आपका साथी