सक्रिय जीवनशैली से कम करें खर्राटे का जोखिम, 1.3 लाख पुरुषों और महिलाओं पर किया गया शोध

इस रिसर्च के तहत शोधकर्ताओं ने अमेरिका में करीब 1.3 लाख पुरुषों और महिलाओं का 10 से 18 साल तक फालोअप अध्ययन किया और पाया कि अधिक शारीरिक सक्रियता और स्थूल व्यवहार ओएसए के जोखिम से जुड़ा हुआ है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 06:33 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 06:33 PM (IST)
सक्रिय जीवनशैली से कम करें खर्राटे का जोखिम, 1.3 लाख पुरुषों और महिलाओं पर किया गया शोध
यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल में प्रकाशित हुआ निष्कर्ष

वाशिंगटन, एएनआइ। सोते समय जोर-जोर से खर्राटा लेना एक सामान्य विकृति है। इसे मेडिकल साइंस की भाषा में आब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्नीया (Obstructive Sleep Apnea, OSA) भी कहते हैं। ऐसा तब होता है जब नींद की स्थिति में गले की मांसपेशियों की शिथिलता के चलते श्वसन मार्ग आंशिक या पूर्ण रूप से अवरुद्ध होने लगता है। इससे हार्ट अटैक समेत कई प्रकार के हृदय रोग का भी खतरा होता है। इतना ही नहीं, खर्राटे लेने वाले लोगों के आसपास सोने वाले लोगों की भी नींद खराब होती है, जिससे वे परेशान होते हैं। लेकिन एक नए अध्ययन में बताया गया है कि सक्रिय जीवनशैली अपना कर इस विकृति के जोखिम को कम किया जा सकता है। इस अध्ययन के निष्कर्ष से प्रभावित होकर अब डाक्टर भी इस विकृति के जोखिम वाले लोगों को बचाव के लिए व्यायाम (एक्सरसाइज) की सलाह देने लगे हैं।

अध्ययन का निष्कर्ष यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। बिघ्रम और वुमेन्स हास्पिटल के शोधकर्ताओं ने सक्रिय जीवनशैली और ओएसए के बीच संबंधों का अध्ययन किया है। इसके तहत शोधकर्ताओं ने अमेरिका में करीब 1.3 लाख पुरुषों और महिलाओं का 10 से 18 साल तक फालोअप अध्ययन किया और पाया कि अधिक शारीरिक सक्रियता और स्थूल व्यवहार ओएसए के जोखिम से जुड़ा हुआ है।

बिघ्रम में एसोसिएट एपिडेमियोलाजिस्ट तियानी हुआंग ने बताया- हमारे अध्ययन से पता चला कि अधिक शारीरिक सक्रियता और घर या आफिस में कम समय तक लगातार बैठने से ओएसए का जोखिम कम होता है। ध्यान देने योग्य बात यह भी है लोग टीवी देखने या कंप्यूटर पर काम करने के लिए ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं। हुआंग के मुताबिक, इस अध्ययन से इस बात का संकेत मिलता है कि सक्रिय जीवनशैली से ओएसए के जोखिम की रोकथाम और इलाज दोनों में ही फायदा मिलता है। शोधकर्ताओं ने शारीरिक सक्रियता और स्थूल स्थिति की समयावधि को स्टैटिकल माडलिंग से तुलनात्मक अध्ययन कर ओएसए के डायग्नोसिस की कोशिश की।

इस दौरान सामान्य और अत्यधिक शारीरिक श्रम का अलग-अलग अध्ययन किया गया और ओएसए के संदर्भ में उसका विश्लेषण करने पर पाया गया कि इन दोनों ही स्थितियों में ओएसए का जोखिम कम तो होता है, लेकिन दोनों में कोई खास अंतर नहीं है। यद्यपि 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं, जिनका बाडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 25 केजी प्रति एम2 था, उनके मामले में इन कारकों का ज्यादा गहरा संबंध देखा गया।

अध्ययन की खासियत :

हुआंग ने बताया कि यह पहला अध्ययन है, जिसमें शारीरिक सक्रियता और स्थूल व्यवहार का ओएसए के जोखिम का एकसाथ आकलन किया गया है। खास बात यह भी है कि इसका सैंपल साइज काफी बड़ा रखा गया। इस कारण कई अन्य कारकों को भी अध्ययन में शामिल किया जा सका और निष्कर्ष ज्यादा विश्वसनीय निकल सका। इसके लिए जुटाए गए आंकड़े अध्ययन में शामिल लोगों द्वारा खुद से दी गई रिपोर्ट से जुटाए गए थे। इसका फायदा यह हुआ कि सामान्य चिकित्सीय परीक्षण में जो हल्के ओएसए मामले पकड़ में नहीं आते, वे भी अध्ययन में शामिल किए जा सके।

हुआंग के मुताबिक, शोध के अगले चरण में एक्टिग्राफी, होम स्लीप एप्नीया टेस्ट और पालीसोमनोग्राफी से भी डाटा जुटाए जाएंगे। लेकिन अभी तक के निष्कर्षो के आधार पर शोधकर्ताओं ने डाक्टरों को इस बात के लिए प्रेरित किया है कि वे ओएसए का जोखिम कम करने के लिए लोगों को शारीरिक सक्रियता के फायदे से अवगत कराएं।

उन्होंने बताया कि हमने पाया कि शारीरिक सक्रियता और स्थूल व्यवहार स्वतंत्र रूप से ओएसए जोखिम से जुड़े हैं। इसलिए जो लोग रोजाना ज्यादा देर तक बैठते हैं, वे भी खाली समय में शारीरिक श्रम या सक्रियता बढ़ाकर ओएसए का जोखिम कम कर सकते हैं।

इसी प्रकार जो लोग शारीरिक कमजोरी की वजह से ज्यादा श्रम नहीं कर सकते, वे ज्यादा देर तक बैठने में कमी लाकर या खड़े होकर या हल्के श्रम से भी ओएसए का जोखिम कम कर सकते हैं। हालांकि स्थूल स्थिति में कमी लाने के साथ ही शारीरिक श्रम बढ़ाने से ज्यादा फायदा होगा।

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