नर्वस सिस्टम की खामी से बढ़ सकता है कोरोना वायरस का खतरा, नए अध्ययन में हुआ खुलासा
एक नए अध्ययन से पता चला है कि नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) संबंधी न्यूरोमस्कुलर डिजीज से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। इससे जूझ रहे लोगों में संक्रमण ज्यादा गंभीर हो सकता है।
न्यूयॉर्क प्रेट्र। स्वास्थ्य संबंधी एक और समस्या के चलते कोरोना वायरस (COVID-19) के गंभीर होने का खतरा पाया गया है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) संबंधी न्यूरोमस्कुलर डिजीज से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। नर्वस सिस्टम की इस खामी से जूझ रहे लोगों में संक्रमण ज्यादा गंभीर हो सकता है। न्यूरोमस्कुलर डिजीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मांसपेशियों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के बीच संबंध स्थापित करने वाली नर्व प्रभावित हो जाती है। इसके कारण व्यक्ति आंशिक तौर पर लकवा का शिकार हो सकता है।
आरआरएनएमएफ न्यूरोमस्कुलर पत्रिका में प्रकाशित समीक्षा अध्ययन के अनुसार, महामारी की शुरआत से लेकर गत 18 जून तक प्रकाशित हुए कुल 547 शोध में उल्लेख किए गए कोविड-19 और न्यूरोमस्कुलर संबंधी दिक्कतों पर गौर किया गया। इसमें न्यूरोमस्कुलर के गंभीर मामलों और वायरस संक्रमण के चलते सामने आए नतीजों का विश्लेषषण किया गया।
कई देशों में कोरोना रोगियों में इस तरह की समस्या देखी जा रही
अमेरिका की बफेलो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता गिल वोल्फ ने कहा, 'कोविड-19 को लेकर स्ट्रोक की तुलना में न्यूरोमस्कुलर जटिलताओं को ज्यादा प्रचारित नहीं किया गया। अब कई देशों में कोरोना रोगियों में इस तरह की समस्या देखी जा रही है।'
किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए कोरोना ज्यादा घातक
शोधकर्ताओं के अनुसार, इस समस्या से पीड़ितों में किसी मौत की खबर नहीं है। ऐसे पीड़ितों में से 16 या 59 फीसद रोगी तकरीबन पूरी तरह उबर गए। पूर्व के कई अध्ययनों से भी यह बात साफ हो चुकी है कि सामान्य व्यक्तियों की तुलना में पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए कोरोना ज्यादा घातक साबित हो रहा है। हाल ही में उम्र संबंधी आंख के विकार मैक्युलर डीजनरेशन पीड़ितों में भी कोरोना संक्रमण के गंभीर होने का खतरा पाया गया। बता दें कि दुनियाभर में कोरोना के एक करोड़ 84 लाख से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं और लगभग लात लाख लोगों की मौत हो गई है।