वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के पास वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं, कंगाली की कगार पर इमरान सरकार

इन स्थानीय लोगों को 2000 से 2500 डालर प्रतिमाह के वेतन पर संविदा आधार पर रखा गया है। इन कर्मचारियों को विदेश विभाग के अधिकारियों के समान सुविधाएं नहीं मिलतीं। इन कर्मचारियों को वीजा पासपोर्ट और अन्य सेवाओं में मदद करने के लिए रखा गया है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:00 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:28 PM (IST)
वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के पास वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं, कंगाली की कगार पर इमरान सरकार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की फाइल फोटो

वाशिंगटन, आइएएनएस। खस्ताहाल पाकिस्तान का हाल यह है कि उसके वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि कर्मचारियों को वेतन दे सके। खबरों के अनुसार दूतावास के कुछ कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। हालांकि पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी इन खबरों को लेकर सवालों से बचते नजर आए।

खबरों के अनुसार संविदा आधार पर दूतावास में रखे गए स्थानीय कर्मचारियों को इस वर्ष अगस्त से वेतन या तो नहीं मिल पा रहा या मिल रहा है तो समय से नहीं मिल रहा है। दूतावास में 10 वर्षों से काम कर रहे एक कर्मचारी ने तो वेतन नहीं मिलने की वजह से सितंबर में इस्तीफा दे दिया।

इन स्थानीय लोगों को 2000 से 2500 डालर प्रतिमाह के वेतन पर संविदा आधार पर रखा गया है। इन कर्मचारियों को विदेश विभाग के अधिकारियों के समान सुविधाएं नहीं मिलतीं। इन कर्मचारियों को वीजा पासपोर्ट और अन्य सेवाओं में मदद करने के लिए रखा गया है।

असमय वेतन देने के लिए दूतावास को अन्य खातों से कर्ज लेना पड़ रहा

सूत्रों के अनुसार इन कर्मचारियों को पाकिस्तान कम्युनिटी वेलफेयर फंड (पीसीडब्ल्यू) से वेतन मिलता है। जानकार सूत्रों के अनुसार कोरोना संकट की वजह से इस फंड का इस्तेमाल वेंटीलेटर और अन्य उपकरण खरीदने में हुआ। इस वजह से इस फंड में इतने पैसे नहीं बचे कि कर्मचारियों को सही तरीके से वेतन मिल सके। असमय वेतन देने के लिए दूतावास को अन्य खातों से कर्ज लेना पड़ रहा है।

सूत्रों ने कहा कि दूतावास को वेतन भुगतान को प्रभावित करने वाले धन को बनाए रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। सूत्रों ने कहा कि दूतावास को स्थानीय स्तर पर काम पर रखे गए कर्मचारियों के मासिक वेतन को बनाए रखने के लिए अन्य खाता प्रमुखों से पैसा उधार लेना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरा कारक यह था कि इस्लामाबाद ने अपनी वीजा सेवाओं को डिजिटल कर दिया है जो अब NADRA (नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी) के साथ समन्वय में हैं।

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