पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी संगठनों को अमेरिका में मिली जमीन, भारत को अस्थिर करने की साजिश

रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य सरकार ने खालिस्तान कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है जबकि खालिस्तान अभियान के सबसे कट्टर समर्थक यूके कनाडा और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में स्थित हैं।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 03:06 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 09:00 AM (IST)
पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी संगठनों को अमेरिका में मिली जमीन, भारत को अस्थिर करने की साजिश
अमेरिका में तेजी से अपनी जड़ें जमा रहा है पाकिस्तान समर्थित खालिस्तान।

वाशिंगटन, एजेंसी। पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के लिए तरह-तरह की साजिश रच रहा है। एक अमेरिकी थिंक टैंक ने इस बात की जानकारी दी है कि अलगाववादी समूह खालिस्तान को अमेरिका में मजबूत किया जा रहा है। तालिबान की तरह ही पाकिस्तान खालिस्तान को भी पूरी ताकत देने में लगा हुआ है। अमेरिका ऐसे मामलों में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

हडसन इंस्टीट्यूट ने पाकिस्तान की अस्थिर करने की योजना और अमेरिका में खालिस्तान की सक्रियता शीर्षक से एक रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादियों की अमेरिका में सक्रियता के बारे में जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों के भारत में सक्रिय आतंकवादियों से संबंध हैं। ये भारत को अस्थिर करने और नुकसान पहुंचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। रिपोर्ट में आशंका जताई है कि जिस तरह से पाकिस्तान में इस्लामिक आतंकवादी समूह नए नामों से उभर रहे हैं, उसी तरह से खालिस्तानी भी नए नामों से समूह बनाकर भारत में वारदातों को अंजाम दे सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने खालिस्तान जैसे संगठनों की हिसा को रोकने में कोई रचि नहीं दिखाई है। इस संगठन के हिसक समूह अमेरिका ही नहीं ब्रिटेन, कनाडा सहित कई पश्चिमी देशों में सक्रिय हैं। जब तक अमेरिका इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक उन आतंकियों की पहचान करना संभव नहीं है, जो भारत में आतंकी घटनाओं में लगे हुए हैं या तैयारी कर रहे हैं। इन संगठनों के पीछे पाकिस्तान का दिमाग काम कर रहा है।

अमेरिका में सक्रिय खालिस्तान समर्थक समूह सिख फार जस्टिस को भारत ने प्रतिबंधित किया हुआ है। इसकी लगातार गतिविधियां अमेरिका व अन्य देशों में देखने को मिल रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे अलगाववादी और आतंकी संगठनों पर रोक लगाने के लिए अमेरिका को उन्हें वैश्विक आतंकवादियों की सूची में शामिल करना चाहिए।

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