अंग प्रत्यारोपण बढ़ाता है कैंसर का खतरा, अंग की स्वीकार्यता के लिए प्रतिरोधी क्षमता की जाती है कम

प्रत्यारोपण के बाद 10 वर्षो में जो लोग कैंसर के शिकार हुए उनके जीवनकाल में इस बीमारी के कारण औसतन 2.7 साल की कमी आई। आकलन के मुताबिक अन्य बीमारियों के कारण जीवनकाल में होने वाली कुल कमी में 11 फीसद के लिए कैंसर को जिम्मेदार पाया गया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 06:33 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 06:33 PM (IST)
अंग प्रत्यारोपण बढ़ाता है कैंसर का खतरा, अंग की स्वीकार्यता के लिए प्रतिरोधी क्षमता की जाती है कम
प्रत्यारोपण के 10 साल के भीतर 5.9 फीसद को हुआ कैंसर

वाशिंगटन, एएनआइ। अंग प्रत्यारोपण से फौरी तौर तो जीवन बच जाता है, लेकिन इससे शरीर कमजोर हो जाता है। प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद संक्रमण और अन्य गंभीर बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है। इसी सिलसिले में हुए एक शोध में पाया गया है कि अंग प्रत्यारोपण कराने वाले लोगों में कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसका प्राथमिक कारण यह माना जाता है कि चूंकि प्रत्यारोपण के लिए व्यक्ति की प्रतिरोधी (इम्यूनिटी) क्षमता कम करने की जरूरत होती है, ताकि प्रत्यारोपित किए गए अंग को शरीर स्वीकार कर ले, इसलिए जोखिम और भी बढ़ जाता है।

प्रत्यारोपण के बाद मौतों में कैंसर की भूमिका वर्षो से पहेली बनी हुई है। इससे अंग प्रत्यारोपण कराने वाला व्यक्ति जीवन का कई साल खो देता है। यह अध्ययन इन्हीं सवालों के जवाब खोजने के लिए किया गया है, जो हाल ही में अमेरिकन कैंसर सोसायटी की एक आनलाइन पत्रिका 'कैंसर' में प्रकाशित हुआ है।

क्या रहा अध्ययन का स्वरूप

इस अध्ययन के लिए नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता ऐनी मिशेल नून और उनकी सहयोगियों ने अमेरिका में 1987 से लेकर 2014 तक के अंग प्रत्यारोपण और कैंसर के रजिस्ट्री डाटा का विश्लेषण किया। इसमें अंग प्रत्यारोपित कराने वाले लोगों के औसत जीवनकाल में कैंसर के कारण आई कमी का भी आकलन किया गया। इसमें अलग-अलग उम्र वर्ग वालों में विभिन्न प्रकार के अंग प्रत्यारोपित किए गए थे।

डाटा विश्लेषण का निष्कर्ष

पाया गया कि अंग प्रत्यारोपित कराने वाले 2,21,962 लोगों में से 13,074 (5.9 फीसद) में ट्रांसप्लांट सर्जरी होने के 10 वर्षो के भीतर कैंसर पनप गया। प्रत्यारोपण के बाद 10 वर्षो में जो लोग कैंसर के शिकार हुए, उनके जीवनकाल में इस बीमारी के कारण औसतन 2.7 साल की कमी आई। आकलन के मुताबिक अन्य बीमारियों के कारण जीवनकाल में होने वाली कुल कमी में 11 फीसद के लिए कैंसर को जिम्मेदार पाया गया।

सबसे घातक असर फेफड़े के कैंसर का

इनमें सबसे घातक असर फेफड़े के कैंसर तथा नान-हाजकिन लिंफोमा का रहा। इन दोनों के कारण जीवनकाल में पांच-पांच साल की कमी आई। नान-हाजकिन का लिंफोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो लसीका तंत्र में शुरू होता है। यह शरीर की रोगाणु से लड़ने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है। नान-हाजकिन लिंफोमा में, लिंफोसाइट्स नामक सफेद रक्त कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ती हैं और पूरे शरीर में कहीं भी ट्यूमर बना सकती हैं।

फेफड़ा प्रत्यारोपित कराने वालों को कैंसर के कारण सबसे ज्यादा पांच साल के जीवनकाल का नुकसान हुआ। यह नुकसान बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा होता गया।

कैंसर स्क्रीनिंग पर खास ध्यान देने की सलाह

इस निष्कर्ष के आधार पर शोधकर्ताओं ने अंग प्रत्यारोपित कराने वाले लोगों में कैंसर की रोकथाम के लिए खासतौर पर स्क्रीनिंग की सलाह दी है। डाक्टर नून का कहना है कि नान-हाजकिन लिंफोमा को लेकर बच्चों की स्क्रीनिंग खासतौर पर की जानी चाहिए। इसी तरह धूमपान करने की पृष्ठभूमि वाले बुजुर्गो के फेफड़ा प्रत्यारोपित कराने पर लंग कैंसर के जोखिम की स्क्रीनिंग पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए।

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