शुक्र ग्रह पर जीवन की संभावना नहीं, शोधकर्ताओं ने खोले कई चौंकाने वाले राज
अध्ययन में बताया गया है कि शुक्र ग्रह का मोटा कार्बन डाइआक्साइड वातावरण सतह का अत्यधिक तापमान और दबाव तथा सल्फ्यूरिक एसिड के बादल पृथ्वी पर जीवन की आवश्यक परिस्थितियों के विपरीत हैं। हालांकि पूर्व के अध्ययनों में विज्ञानी यहां जीवन की संभावना जताते रहे हैं।
वाशिंगटन, एएनआइ। शुक्र के आकार, द्रव्यमान और अन्य कई चीजों की पृथ्वी से कुछ समानताओं को देखते हुए इसे धरती का जुड़वा ग्रह कहा जाता है। विज्ञानी लंबे समय से इस ग्रह पर पानी और जीवन की संभावनाएं तलाश रहे हैं, लेकिन ताजा अध्ययन से उन्हें एक झटका लगा है। दरअसल, नए अध्ययन में बताया गया है कि शुक्र ग्रह का तापमान और दबाव कभी ऐसा रहा ही नहीं कि यहां पानी रहा है। इसलिए वहां जीवन की संभावना नहीं हो सकती।
जिनेवा विश्वविद्यालय (यूएनआइजीई) और नेशनल सेंटर आफ काम्पीटेंस इन रिसर्च (एनसीसीआर) प्लैनेट्स, स्विट्जरलैंड के नेतृत्व में खगोलविदों की एक टीम ने जांच की कि क्या हमारे ग्रह के जुड़वा ग्रह पर कभी जीवन की संभावना रही है? नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के परिणाम में बताया गया है कि ऐसा नहीं हो सकता। यहां जीवन और पानी की संभावना नहीं दिखाई देती।
तापमान और दबाव जीवन के अनुकूल नहीं : अध्ययन में बताया गया है कि शुक्र ग्रह का मोटा कार्बन डाइआक्साइड वातावरण, सतह का अत्यधिक तापमान और दबाव तथा सल्फ्यूरिक एसिड के बादल पृथ्वी पर जीवन की आवश्यक परिस्थितियों के विपरीत हैं। हालांकि, पूर्व के अध्ययनों में विज्ञानी यहां जीवन की संभावना जताते रहे हैं। पूर्व में ये बातें भी सामने आईं कि यहां कभी महासागर रहे होंगे, लेकिन नवीन अध्ययन ने पूर्व के सभी सिद्धांतों (थ्योरियों) को खारिज कर दिया है।
विज्ञानियों की नजर में है शुक्र : शुक्र ग्रह वर्तमान में खगोलविदों के लिए शोध का एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) और नासा ने इस वर्ष ही निर्णय लिया कि एक दशक के भीतर शुक्र के लिए तीन मिशन भेजे जाएंगे। इनमें एक प्रमुख सवाल का जवाब तलाशा जाना है, वह यह है कि क्या कभी शुक्र पर महासागर थे या नहीं। इस नवीन अध्ययन के नेतृत्वकर्ता मार्टिन टर्बेट ने इस सवाल का जवाब उन टूल्स की मदद से दिया है, जो पृथ्वी पर मौजूद हैं।
इस तरह किया अध्ययन : शोधकर्ताओं ने इस नवीन अध्ययन के लिए त्रिआयामी माडल का उपयोग किया, जिसमें उन्होंने पाया कि इतने वर्षों में शुक्र का तापमान कभी कम नहीं हुआ। ऐसे में वहां पानी के कभी होने की संभावना ही नहीं हो सकती। इसलिए वहां जीवन की संभावना भी नहीं है, क्योंकि एक तो वहां का अत्यधिक तापमान और दूसरा पानी की अनुपस्थिति है। ये दोनों ही कारण उस ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को खारिज करते हैं।
ऐसी थी स्थिति
मार्टिन टर्बेट ने समझाया कि हमने पृथ्वी और शुक्र की जलवायु और उसके विकास का अध्ययन चार अरब साल पहले से किया है, जब इनकी सतह पिघली हुई थीं। संभावना है कि उस समय शुक्र पर उच्च तापमान में यदि पानी होगा भी तो भाप के रूप में होगा।