निर्मला सीतारमण बोलीं- जलवायु वित्तपोषण चिंता का विषय, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर भी जताई चिंता

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जलवायु वित्तपोषण चिंता का विषय बना हुआ है। उन्‍होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि सीओपी 21 (कांफ्रेंस आफ पार्टीज) के मद्देजनर 100 अरब डालर (लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये) प्रतिवर्ष की प्रतिबद्धता कैसे जताई गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 10:35 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 10:42 PM (IST)
निर्मला सीतारमण बोलीं- जलवायु वित्तपोषण चिंता का विषय, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर भी जताई चिंता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जलवायु वित्तपोषण चिंता का विषय बना हुआ है।

वाशिंगटन, पीटीआइ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जलवायु वित्तपोषण चिंता का विषय बना हुआ है। सीतारमण ने वित्त पोषण तंत्र और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर भी चिंता जताई है। यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और विश्र्व बैंक की बैठकों के समापन के बाद सीतारमण ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि सीओपी 21 (कांफ्रेंस आफ पार्टीज) के मद्देजनर 100 अरब डालर (लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये) प्रतिवर्ष की प्रतिबद्धता कैसे जताई गई है।

सीतारमण ने कहा, 'मेरी तरफ से मैंने एक यह विषय उठाया और कई लोग इस बात का संज्ञान लेते हैं कि हमें वास्तव में यह नहीं पता कि यह आकलन करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं या नहीं कि किसी परियोजना विशेष पर यदि कोई धन खर्च करता है तो क्या वह उसी 100 अरब डालर राशि का हिस्सा होगा।'

उन्होंने कहा, '100 अरब डालर में क्या-क्या शामिल है? हम कैसे पता लगाएंगे कि वास्तव में 100 अरब डालर दिए गए हैं या उसमें से कुछ राशि ही दी गई है? इसलिए 100 अरब डालर प्रति वर्ष आ रहे हैं या नहीं, केवल यही मुद्दा नहीं है। एक विषय यह भी है कि हम कैसे आकलन करेंगे कि ये वास्तव में आ रहे हैं या नहीं।''

उन्होंने कहा कि आइएमएफ और विश्र्व बैंक दोनों की बैठकों में शामिल कई प्रतिभागियों ने इस विषय को उठाया। इसलिए धनराशि भी कई देशों के लिए उतनी ही चिंता का विषय बनी हुई है जितनी चिंता प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की है। वित्त मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि उनका यह दृष्टिकोण उनके असंतोष को नहीं झलकाता।

कोरोना संकट से सीखे गए सबक पर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने कोरोना संकट से जो सबक सीखे हैं उन पर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महामारी के बाद दुनिया पहले की तरह नहीं होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने से बहुत पहले सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज दिया था और वह अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौटने का इंतजार कर रही थी। उस चरण के दौरान और दूसरी लहर के बाद उन्होंने जो कोई भी कदम उठाया उसके लिए 'उनके पास निर्भर रहने के लिए कोई मिसाल' नहीं थी।

सीतारमण ने कहा कि वे उस तरह के उपाय नहीं थे, जो भारत अकेले कर रहा था। उन्होंने कहा कि दुनिया का हर देश इस संकट से प्रभावित हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा, 'इसलिए, तुरंत पीछे पलटकर देखने और पिछले साल के अनुभव पर गौर करने के मामले में मुझे लगता है कि यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी कि इसे बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था।' 

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