जानें- किसने दी है यूरोप को चीन से सुरक्षा की गारंटी और किसने कहा ड्रैगन को मिलकर जवाब देने की जरूरत

ब्रसेल्‍स में नाटो हेडक्‍वार्टर से अमेरिका ने चीन और रूस को चेतावनी दी है। अमेरिका ने कहा है कि यूरोप की सुरक्षा उसका दायित्‍व है और उसके रहते कोई यूरोप का भविष्‍य में कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 11:27 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 11:27 AM (IST)
जानें- किसने दी है यूरोप को चीन से सुरक्षा की गारंटी और किसने कहा ड्रैगन को मिलकर जवाब देने की जरूरत
यूरोप को चीन से लगने लगा है डर

वाशिंगटन (रॉयटर्स)। उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने चीन को एक गंभीर चुनौती बताया है। ब्रसेल्‍स में नाटो के हेडक्‍वार्टर पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि यूरोप की सुरक्षा उसकी एक अहम जिम्‍मेदारी है। उन्‍होंने चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि उससे यूरोप को डरने की जरूरत नहीं है, अमेरिका उनके साथ मौजूद है। अमेरिका के रहते यूरोप का कोई कुछ नहीं कर सकता है। उन्‍होंने ये भी कहा कि नाटो हम सभी के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण है।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति का ये बयान इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि ये पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की उस नीति के विपरीत है, जिसमें उन्‍होंने यूरोप की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी न लेने की बात कही थी। उन्‍होंने अपने कार्यकाल में साफ कर दिया था कि अमेरिका बिना किसी फायदे को दुनिया का रखवाला नहीं बन सकता है। ट्रंप ने यूरोप को उसकी सुरक्षा से पीछे हटने तक की चेतावनी दे दी थी।

इसके उलट राष्‍ट्रपति बाइडन ने यूरोप को एक बार फिर से उसकी सुरक्षा को लेकर आश्‍वस्‍त किया है। उनके इस बयान का यूरोपीय देशों ने स्‍वागत किया है। नाटो सम्‍मेलन में बाइडन ने न सिर्फ चीन को चेतावनी दी, बल्कि रूस भी उनके संबोधन का एक केंद्र बिंदु रहा। उन्‍होंने कहा कि रूस और चीन दोनों ने ही अपने रास्‍ते बदल लिए हैं। अब वो उस रास्‍ते पर नहीं है जैसी उनसे कल्‍पना की गई थी।

पहले दुनिया ये मानती थी कि वो उदारवादी लोकतंत्र की राह पकड़ेंगे, जिससे दुनिया को उनसे खतरा कम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बीते कई वर्षों से लगातार सहयोग करने के बावजूद चीन अमेरिका का अच्‍छा सहयोगी नहीं बन सका। यही वजह है कि नाटो के सहयोगियों ने उसको लगातार साजिश रचने वाला देश बताया है।

इस मौके पर नाटो के महासचिव जेंस स्टॉटेनबर्ग ने कहा कि चीन लगातार अपनी सैन्‍य मौजूदगी में इजाफा कर रहा है। उसने बाल्टिक सागर से लेकर अफ्रीका तक अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि चीन की नीतियों के प्रति नाटो पूरी तरह से सजग और चौकन्‍ना रहे। उन्‍होंने कहा कि चीन लगातार अमेरिका के नजदीक आ रहा है।

धरती ही नहीं, चीन अंतरिक्ष में भी अमेरिका की बराबरी करने की इच्‍छा रखता है। वो लगातार अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ा निवेश कर रहा है और अमेरिका का बड़ा प्रतिद्वंदी बन रहा है। इतना ही नहीं, वो लगातार दूरसंचार और बंदरगाहों के विकास में लगा हुआ है। ये सभी ऐसे रणनीतिक क्षेत्र हैं, जिनसे अमेरिका को सतर्क रहने की जरूरत है। इतना ही नहीं, हमें साथ मिलकर चीन को जवाब देना होगा। जेंस ने रूसी सेनाओं के यूक्रेन के पास जमावड़े पर भी गहरी चिंता जताई है।

इस मौके पर मौजूद जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति का यहां आना एक नए चेप्‍टर की शुरुआत है। इस सम्‍मेलन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी शामिल हुए थे। उन्‍होंने इस मौके पर कहा कि चीन के साथ संबंधों को रखना, जहां फायदे का सौदा है, वहीं इसमें खतरा भी अधिक है। सभी देशों को उससे संबंध बनाने के समय हर परिस्थिति पर विचार करना जरूरी है। गौरतलब है कि अमेरिकी नेतृत्‍व वाले नाटो में 30 देश शामिल हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति नाटो सम्‍मेलन से इतर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से भी मिले। नाटो का अगला सम्‍मेलन 2022 में स्‍पेन में होगा। 

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