2,300 ग्रह खोज चुका नासा का केप्लर टेलीस्कोप ‘जागा’, 2009 में किया गया था लॉन्च

अब तक 2,300 से भी अधिक नए ग्रहों की खोज कर चुका यह टेलीस्कोप कुछ समय पहले स्लीप मोड में चला गया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 08 Sep 2018 11:44 AM (IST) Updated:Sat, 08 Sep 2018 11:45 AM (IST)
2,300 ग्रह खोज चुका नासा का केप्लर टेलीस्कोप ‘जागा’, 2009 में किया गया था लॉन्च
2,300 ग्रह खोज चुका नासा का केप्लर टेलीस्कोप ‘जागा’, 2009 में किया गया था लॉन्च

वाशिंगटन [प्रेट्र]। ग्रहों की तलाश के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया नासा का केप्लर स्पेस टेलीस्कोप जाग गया है। अब तक 2,300 से भी अधिक नए ग्रहों की खोज कर चुका यह टेलीस्कोप कुछ समय पहले स्लीप मोड में चला गया था। अब इसके फिर से सक्रिय होने के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी इस पर नजर रखे हुए है। हालांकि, एजेंसी का कहना है कि इसका ईंधन जल्द खत्म होने वाला है, जिससे पहले इसे धरती पर लाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।

18वें अभियान के बाद चला गया था स्लीप मोड पर

नासा के मुताबिक, इस स्पेसक्राफ्ट के 18वें अभियान के दौरान इसके द्वारा जुटाए गए डाटा को सफलतापूर्वक डाउनलोड करने के बाद यह स्लीप मोड में चला गया था। नासा ने बयान जारी किया कि स्लीप मोड से बाहर आने के बाद इसके असमान्य व्यवहार को देखते हुए इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। शुरुआती स्तर पर जांच में पता चलता है कि इस टेलीस्कोप की क्षमता में कुछ गिरावट आई है। टेलीस्कोप की लगातार निगरानी की जा रही है। ईंधन खत्म होने से पहले केप्लर की टीम इसे वापस धरती पर लाना चाहती है।

2009 में किया गया था लॉन्च

केप्लर अंतरिक्ष यान के जरिये केप्लर स्पेस टेलीस्कोप को सात मार्च 2009 को अंतरिक्ष में भेजा गया था। इसका काम सूरज से अलग, लेकिन उसी तरह अन्य तारों के इर्द-गिर्द ऐसे ग्रहों को तलाशना है, जो पृथ्वी से मिलते-जुलते हों। यह लगातार पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। वर्ष 2013 में इसके दूसरे रिएक्शन पहिया के टूटने के बाद इसका प्राथमिक मिशन खत्म हो गया था। इसके बाद से इसके ग्रहों की तलाश करने की क्षमता में कमी आई थी।

नहीं पता कितना ईंधन बाकी

मार्च में नासा ने कहा था कि जांच से पता चला है कि कुछ महीनों में इसका ईंधन खत्म हो जाएगा। स्लीप मोड से बाहर आने के कारण नासा इससे अधिक से अधिक डाटा एकत्र कर रही है। एक बार ईंधन खत्म हो गया तो न तो डाटा ट्रांसफर किया जा सकेगा और न ही इसे धरती पर वापस लाया जा सकेगा। नासा के मुताबिक, यह पता नहीं लगाया जा सका है कि अभी इसमें कितना ईंधन शेष है। इसलिए इसकी लगातार निगरानी की जा रही है और

धरती पर लाने के प्रयास किए जा रहे है। 

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