जानें- तियांहे के निर्माण के लिए अंतरिक्ष में भेजे गए चीन के मानव मिशन पर नासा की प्रतिक्रिया

चीन के अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजे जाने पर नासा ने बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। नासा ने चीन को इसके लिए बधाई दी है साथ ही कहा है कि वो इससे होने वाली खोजों का इंतजार करेगा।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 08:01 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 08:33 PM (IST)
जानें- तियांहे के निर्माण के लिए अंतरिक्ष में भेजे गए चीन के मानव मिशन पर नासा की प्रतिक्रिया
चीन के मानव मिशन पर नासा ने दी बधाई

वाशिंगटन (रॉयटर्स)। चीन द्वारा अंतरिक्ष में बनाए जा रहे उसके नए स्‍पेस स्‍टेशन के निर्माण के लिए भेजे गए मानव मिशन पर नासा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। नासा ने एक बयान जारी कर इस मानव मिशन पर खुशी जताई है और चीन को उसके मिशन के लिए शुभकामनाएं भी दी हैं। एक संदेश में नासा के प्रमुख बिल नेल्‍सन ने कहा है चीन को उसके सफलतापूर्वक मानव मिशन को लॉन्‍च करने पर बधाई। उन्‍होंने ये भी लिखा है कि वो इसके जरिए भविष्‍य में होने वाली वैज्ञानिक खोज का इंतजार कर रहे हैं।

आपको बता दें कि चीन की तीनों अंतरिक्ष यात्री सफलतापूर्व गुरुवार को निर्माणाधीन स्‍पेस स्‍टेशन पहुंच गए हैं। चीन के इस स्‍पेस स्‍टेशन का नाम तियांहे है। चीन के तीनों अंतरिक्ष यात्रियों को शेनझेउ-12 से स्‍थानीय समयानुसार सुबह 9:22 बजे जियुक्वान सैटेलाइट लांच सेंटर से लॉन्‍च किया गया था। इस यान को लांग मार्च-2एफ राकेट के जरिये रवाना किया गया था। चीन में इस लॉन्चिंग का सीधा प्रसारण भी किया गया था। रवानगी के छह घंटे बाद ये तीनों सफलतापूर्वक स्‍पेस स्‍टेशन पहुंच गए। वर्ष 2016 के बाद पहली बार उसके अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष में पहुंचे हैं। चीन के स्‍पेस मिशन में ये एक बड़ा और अहम कदम भी माना जा रहा है।

गौरतलब है कि चीन ने अपना स्‍पेस स्‍टेशन तियांहे बनाने के लिए इसके कोर मॉड्यूल को 29 अप्रैल को लॉन्‍च किया था। ये कंट्रोल हब के रूप में काम करता है। ये करीब 16.6 मीटर लंबा और 22.5 टन वजनी है। अब तीन महीने तक चीन के तीनों अंतरिक्षयात्री निए हैशेंप, लियू बोमिंग और तांग होंग्बो, इसमें ही रहकर स्‍पेस स्‍टेशन के निर्माण और इसकी देखरेख का काम करेंगे। चीन का ये स्‍पेस स्‍टेशन टी आकार का है। इसके बीच में कोर मॉड्यूल और सभी किनारों पर एक लैब कैप्सूल है। इस स्‍टेशन की खासियत ये भी है कि इस पर मानव और कार्गो दोनों की व्‍यवस्‍था की गई है।

इसको धरती की निचली कक्षा में संचालित किया गया है। इसी कक्षा में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍पेस स्‍टेशन भी है, जिसमें अमेरिका, यूरोप, कनाडा, रूस, और जापान शामिल है। रॉयटर्स का कहना है कि यदि किसी सूरत में आईएसएस को डीकमिशंड किया जाता है तो ऐसी सूरत में केवल चीन का ही स्‍पेस स्‍टेशन अंतरिक्ष में एक्टिव रहेगा। आपको बता दें कि आईएसएस को 1988 में लॉन्‍च किया गया था। इससे पहले रूस का मीर स्‍टेशन अंतरिक्ष में संचालित था।

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