चीन के अड़ंगेबाजी से एक हफ्ते देर से आया पुलवामा आतंकी हमले पर UNSC का बयान

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने गुरुवार को जघन्य और कायरतापूर्ण पुलवामा आतंकी हमले की कड़ी निंदा की।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 05:06 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 01:06 AM (IST)
चीन के अड़ंगेबाजी से एक हफ्ते देर से आया पुलवामा आतंकी हमले पर UNSC का बयान
चीन के अड़ंगेबाजी से एक हफ्ते देर से आया पुलवामा आतंकी हमले पर UNSC का बयान

 न्‍यूयार्क, प्रेट्र। पाकिस्तान के खास दोस्त चीन के अड़ंगे के चलते पुलवामा हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के बयान में एक हफ्ते की देरी हुई। चीन नहीं चाहता था कि बयान में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का जिक्र हो। माना जा रहा है कि सुरक्षा परिषद के बयान को जहां पाक के लिए झटका माना गया तो वहीं भारत की कूटनीतिक जीत भी माना जा रहा है।

 सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के भारी दबाव के चलते चीन की कुटिल चाल कामयाब नहीं हुई। संयुक्त राष्ट्र की सबसे ताकतवर संस्थान 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का चीन भी सदस्य है। वह चाहता था कि सुरक्षा परिषद के निंदा प्रस्ताव में जैश का उल्लेख नहीं हो। चूकि, प्रस्ताव पर सभी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है, इसलिए चीन कोई न कोई बहाना बनाकर अपनी सहमति देने से बचता रहा।

सूत्रों के अनुसार पिछले एक हफ्ते के भीतर इस मामले पर काफी माथापच्ची हुई। पहले पुलवामा हमले पर UNSC बयान 15 फरवरी की शाम को ही जारी होने वाला था लेकिन चीन लगातार समय बढ़वाता रहा। 15 फरवरी को जब 14 सदस्य देश बयान जारी करने वाले थे, तब चीन ने 18 फरवरी तक का समय मांगा। दो बार तो चीन ने कई बदलाव रखे, जिससे प्रक्रिया को टाला जा सके।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने तो सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष से मुलाकात भी की थी, पर उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी। गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में 15 स्थायी और अस्थायी सदस्य हैं।

संयुक्त राष्ट्र की सबसे ताकतवर 15 सदस्यीय संस्था ने अपनी निंदा में पाकिस्तान में पल रहे आतंकी संगठन का नाम भी लिया है। इसमें वीटो पॉवर वाला चीन भी शामिल है, जिसने जैश सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के सुरक्षा परिषद प्रतिबंध कमेटी की कोशिशों को रोक दिया था। बयान में आगे कहा गया है कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों का मानना है कि किसी भी रूप में आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है।

सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इस आतंकवादी हमले की साजिश रचने वालों, उसके लिए धन देने वालों और उसे समर्थन देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जरूरत पर रेखांकित किया है।

चीन की नई पैंतरेबाजी
सुरक्षा परिषद के बयान में जैश का जिक्र होने से रोकने में नाकाम रहने के बाद चीन ने अब बयान को कम करके आंकने की कोशिश की है। चीन ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि जैश ए मुहम्मद का जिक्र सिर्फ सामान्य संदर्भ में हुआ है और यह कोई फैसला नहीं है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने संवाददाताओं से कहा कि बीजिंग आतंकी घटना से जुड़े घटनाक्रम का बारीकी से देख रहा है। गेंग ने कहा कि कल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी किया जिसमें उल्लेख किया गया था कि एक विशेष संगठन का उल्‍लेख लेकिन केवल सामान्य शब्दों में है, यह फैसले का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

यूएनएससी के स्थायी पांच सदस्‍यों में से एक फ्रांस ने भी आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि वह 1267 समिति में जल्द ही प्रस्ताव लाएगा, जिसमें जैश प्रमुख मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने की मांग करेगा। 2016 के बाद से चीन लगातार भारत और बाद में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित करने के लिए तकनीकी रोक लगाकर लगातार कदम पर रोक लगाता रहा है।

शुक्रवार को अपनी प्रतिक्रिया में गेंग ने कहा कि चीन ने यह भी कहा है कि पाकिस्तानी सरकार ने जांच में भारत के साथ सहयोग करने में तत्परता दिखाई और वह बातचीत के माध्यम से भारत के साथ मतभेदों को हल करने के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा कि चीन को उम्मीद है कि सभी पक्ष इस हमले की सच्चाई का पता लगाने के लिए काम करेंगे। हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान और भारत संयुक्त रूप से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा के लिए बातचीत में शामिल होंगे।

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