कुछ दिन बाद नासा जारी कर सकता है लैंडर विक्रम की लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर द्वारा खींची तस्वीरें

नासा के लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर ने कुछ दिन पहले चंद्रमा की कक्षा का चक्कर लगाने के दौरान लैंडर विक्रम की कुछ तस्वीरें खींची है अब वो इसका अध्ययन किया जा रहा है।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sat, 21 Sep 2019 05:53 PM (IST) Updated:Sun, 22 Sep 2019 11:37 AM (IST)
कुछ दिन बाद नासा जारी कर सकता है लैंडर विक्रम की लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर द्वारा खींची तस्वीरें
कुछ दिन बाद नासा जारी कर सकता है लैंडर विक्रम की लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर द्वारा खींची तस्वीरें

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। नासा की ओर से अगले सप्ताह चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की तस्वीरें जारी की जाएगी। बीते मंगलवार को चंद्रमा से गुजरने के दौरान लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर ने ये तस्वीरें खींची है। फिलहाल नासा इन तस्वीरों का अध्ययन कर रहा है। तस्वीरों में लैंडर विक्रम से संबंधित कुछ सबूत मिलें हैं। मगर जब तक नासा इन पर पुख्ता नहीं हो जाएगा कुछ भी कह पाना मुश्किल है मगर अगले सप्ताह जो भी होगा नासा की ओर से जानकारी दी जाएगी। 

लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter)ने इस सप्ताह उस क्षेत्र में भरी उड़ान 

नासा के लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter)ने इस सप्ताह उस क्षेत्र में उड़ान भरी, लेकिन सूरज की रोशनी कम होने की वजह से वो लैंडर की साफ तस्वीरें नहीं खींच सका। वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबी छाया में विक्रम छिपा हो सकता है। यदि रोशनी ठीकठाक होती तो उसकी साफ तस्वीरें देखने को मिल सकती थीं। मगर कुछ ऐसी चीजें दिखीं है उनका अध्ययन किया जा रहा है। 

(नोट- नासा ने ये तस्वीरें इस सप्ताह खींची है।)

तापमान की वजह से खराब हो सकते उपकरण 

 दरअसल विक्रम को 14 पृथ्वी दिनों के लिए संचालित करने के लिए हिसाब से डिजाइन किया गया था, पृथ्वी का एक दिन चंद्रमा पर 14 दिनों के बराबर है, इसके अलावा वहां के तापमान में भी काफी अंतर है। जिस जगह पर लैंडर को उतरना था वहां का तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है, इस वजह से वैज्ञानिकों का ये कहना था कि यदि ये 14 दिन शुरू होने से पहले लैंडर की लोकेशन का पता चल गया तो बेहतर रहेगा मगर यदि इन 14 दिनों की शुरुआत हो गई और ये उपकरण वहां के तापमान की चपेट में आ गए तो समस्या होगी। अब चूंकि लैंडर की लैंडिंग भी सही तरीके से नहीं हुई है इस वजह से और भी नकारात्मक संभावनाएं सामने आ रही हैं। 

 (नोट- इसी जगह पर बेरेसैट लैंडर हुआ था क्रैश)

5 माह पहले ही क्रैश हुआ था बेरेसैट लैंडर 

इजरायल ने भी चंद्रमा पर अपना एक लैंडर बेरेसैट भेजा था, मगर चंद्रमा पर लैंडिंग से पहले ही उसका संपर्क टूट गया। वो भी वहां पर सही तरीके से लैंड नहीं कर सका था, क्रैश हो गया था। उसके बाद भारत ने चंद्रयान-2 भेजा, इसका भी लैंडर विक्रम चांद की धरती को ठीक तरह से नहीं छू पाया, इसका भी संपर्क टूट गया। विक्रम की लैंडिंग को हार्ड लैंडिंग कहा गया तो कभी इसके क्षतिग्रस्त हो जाने की बात कही गई मगर हुआ क्या है इसकी तलाश अभी भी जारी है। अब नासा भी इसकी इमेज को खोजने में लगा हुआ है। भारत के चंद्रयान -2 चंद्रमा लैंडर ने इजरायल के बेरेसैट लैंडर के चंद्रमा में क्रैश होने के पांच महीने से भी कम समय बाद, 7 सितंबर को एक कठिन लैंडिंग की। 

विक्रम को ढूंढा जा रहा 

भारत ने चंद्रयान -2 के साथ विक्रम नाम के लैंडर को भेजा था, चंद्रमा की धरती को छूने से पहले ही इसका भी इसरो से संपर्क टूट गया। इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक उतरना था मगर वो उसमें कामयाब नहीं हो पाया। नासा के लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर ने इस सप्ताह उस जगह से उड़ान भरी जहां पर लैंडर विक्रम के होने की संभावना थी। लेकिन सूरज की रोशनी कम होने और लंबी छाया होने की वजह से विक्रम साफ तौर पर नहीं दिख पाया। उसके बाद भी नासा ने वहां की तस्वीरें खींची हैं। अब वो उन तस्वीरों का अध्ययन कर रहा है जिसे अगले सप्ताह जारी किया जा सकता है। विक्रम को 14 पृथ्वी दिनों के लिए संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जब तक कि सूर्य अस्त और चंद्र रात्रि को इसके उपकरणों को फ्रीज नहीं किया गया। वह समय सीमा अब आ गई है, और विक्रम से संपर्क करने का प्रयास असफल रहा है। 

(नोट- इस जगह पर यूरोपीय-रूसी शिआपरेल्ली लैंडर 2016 में वंश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। )

पहली लैंडिंग भी नहीं हो पाई थी ठीक

सोवियत संघ की ओर से साल 1959 की शुरुआत में चंद्रमा पर लैंडिंग के लिए सबसे पहला लुनिक(लूना-1) अंतरिक्ष यान भेजा गया था। मगर ये भी वहां पर ठीक तरह से लैंडिंग नहीं कर पाया था। यह अभी भी कहीं बाहर पृथ्वी और मंगल के बीच सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। मगर मॉस्को अभी भी अपनी इसे कामयाबी मान रहा है। मॉस्को इस बात को लेकर ही खुश है कि वो अपने लैंडर के साथ चांद तक पहुंच तो गया, भले ही लैंडिंग ठीक नहीं हो पाई। अगली बार लैंडिंग पर विशेष जोर दिया जाएगा और कामयाबी मिलेगी। इसके 8 माह बाद ही लूना-2 धराशायी हो गई। 

लूनर हार्ड लैंडिंग 

अब तक सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, भारत, चीन और इजरायल ने हार्ड लैंडिंग की है। सात देशों या संगठनों ने चंद्रमा पर कठोर लैंडिंग की है, जिन-जिन देशों की ओर से चांद पर ऐसे लैंडर भेजे गए थे यदि वो क्रैश हो गए तो उनसे कुछ न कुछ सीखने को ही मिला है, अगली बार इन देशों की ओर से और भी उन्नत तरह के लैंडर भेजे गए। 

मंगल में क्रैश 

मंगल ग्रह पर उतरना अंतरिक्ष यान डिजाइनरों द्वारा सामना किए जाने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक है। सोवियत संघ की ओर से मंगल पर भेजा गया ग्रह मंगल-2 भी ऐसा ग्रह था जिसने उस लाल ग्रह को छूने की कोशिश की थी मगर वह लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

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