कई शारीरिक समस्याओं की वजह बना लॉकडाउन, मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा गहरा असर

अमेरिका की पेनिंगटन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर से इस अध्ययन के लेखक लियन रेडमैन ने कहा कोरोना से बचने के लिए हमने खुद को घरों में कैद कर लिया। पर यह कदम हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 08:51 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:51 AM (IST)
कई शारीरिक समस्याओं की वजह बना लॉकडाउन, मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा गहरा असर
इस दौरान कई लोगों में अलग बीमारियां भी उभर आई।

न्यूयॉर्क, आइएएनएस। एक नए अध्ययन में दावा है किया गया है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने लोगों की दिनचर्या नाटकीय रूप से बदल दी है। इससे न सिर्फ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है बल्कि स्वास्थ्य के लिए जरूरी नींद भी प्रभावित हुई है। साथ ही कई लोग मोटापे की समस्या से भी ग्रस्त हो गए हैं।

अमेरिका की पेनिंगटन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर से इस अध्ययन के लेखक लियन रेडमैन ने कहा, 'कोरोना से बचने के लिए हमने खुद को घरों में कैद कर लिया। पर यह कदम हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ है। इस दौरान कई लोगों में ऐसी बीमारियां भी उभर आई हैं जो लॉकडाउन के न होने पर शायद लोगों को बीमार न करतीं।'

उन्होंने कहा, 'हमारा अध्ययन यह नहीं कहता है कि लॉकडाउन करना गलत कदम था। कोरोना से बचाव के लिए यह सबसे जरूरी उपायों में से एक था। पर जरूरी शारीरिक गतिविधियों के अभाव में लोग कई बीमारियों से ग्रस्त हो गए हैं।'

मुश्किल वक्त में प्रकृति के साथ सामंजस्य या संतुलन की जरूरत हम ज्यादा महसूस कर रहे हैं। हमेशा प्रकृति से छेड़छाड़ करना भारी पड़ता है। जब हम प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं तो मुश्किल में पड़ जाते हैं। दरअसल, प्रकृति में सारी चीजें एक-दूसरे के साथ संतुलन बनाकर रहती हैं। इसके लिए उसकी एक योजना होती है। क्या हमें प्रकृति के इस संतुलन को अपने जीवन से जोड़कर सीख नहीं लेनी चाहिए?

जरा सोचिए, जिस छोटी-सी गेंदनुमा पृथ्वी पर हम रहते हैं, वह 365 दिनों में सूर्य का चक्कर लगा लेती है। इस दौरान वह सूर्य और सभी ग्रहों से उचित दूरी भी बनाए रखती है। कितना व्यवस्थित रूप से यह सब चल रहा है। शाम को सूरज अस्त होता है तो हम सोने चले जाते हैं कि अगली सुबह यह पूरब दिशा से निकलेगा। खगोलशास्त्री सैकड़ों साल पहले से यह अनुमान लगा लेते हैं कि किन तारों और ग्रहों के बीच का संबंध कैसा होगा?

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