कोरोना ने सामाजिक ताने-बाने को कर दिया छिन्न-भिन्न, अभावग्रस्त अश्वेत लोग सबसे ज्यादा हुए शिकार

सामाजिक असमानता दूर हो। सभी को सुविधाओं से भरी जिंदगी मिले और सभी को समान अवसर मिलें। हर मायने में लोगों के बीच समानता पैदा हो और किसी खास रंग के व्यक्तियों की संख्या मरने वालों में ज्यादा न हो।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 01:52 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 01:52 AM (IST)
कोरोना ने सामाजिक ताने-बाने को कर दिया छिन्न-भिन्न, अभावग्रस्त अश्वेत लोग सबसे ज्यादा हुए शिकार
कोरोना ने नस्ली आधार पर दुनिया में बर्बादी फैलाई।

अटलांटा, एपी। कोविड-19 महामारी ने हमारे सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया है। इसने दुनिया को नस्ली आधार पर भी नुकसान पहुंचाया है। अमेरिका में इस महामारी से सबसे ज्यादा अफ्रीकी मूल के अमेरिकी, अश्वेत अमेरिकी और एशियाई-अमेरिकी प्रभावित हुए। यह बात अमेरिका के दिग्गज वायरोलॉजिस्ट डॉ. एंथोनी फासी ने कही है। डॉ. फासी ही वह चिकित्सक हैं जिनके दिशानिर्देश पर काम करते हुए अमेरिकी प्रशासन कोरोना संक्रमण से निपट रहा है।

डॉ. फासी ने कहा- समाज का कमजोर तबका अश्वेत महामारी की चपेट में

डॉ. फासी ने कहा, निसंदेह हम सामाजिक असमानता के शिकार हुए। समाज का कमजोर तबका जिसमें अश्वेतों की बड़ी संख्या है, वह गंभीरता से महामारी की चपेट में आया। वह अटलांटा की एमरी यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में वेबकास्ट के जरिये अपनी बात रख रहे थे।

फासी ने कहा- शारीरिक रूप से कमजोर अश्वेतों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है

फासी ने कहा, कोरोना संक्रमण के दौरान बहुत से लोग उसके प्रभाव में आए, लेकिन उनकी संख्या ज्यादा थी जिन्हें बचपन में या उसके बाद पोषक खाद्य पदार्थ नहीं मिले। उनका जन्म अभावों के बीच हुआ और इसी के चलते वह हमेशा के लिए शारीरिक रूप से कमजोर रह गए। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। दुर्भाग्य से ऐसे लोगों में अश्वेतों की संख्या बहुतायत है और वे महामारी की चपेट में आ गए।

फासी ने कहा- सामाजिक असमानता दूर हो, सभी को समान अवसर मिलें

फासी ने कहा, इसके लिए बीते दशकों का सामाजिक वातावरण जिम्मेदार है। उन्होंने पढ़ाई पूरी कर यूनिवर्सिटी से निकल रहे ग्रेजुएट से अपील की कि वे ऐसा कुछ करें जिससे यह सामाजिक असमानता दूर हो। सभी को सुविधाओं से भरी जिंदगी मिले और सभी को समान अवसर मिलें। हर मायने में लोगों के बीच समानता पैदा हो और किसी खास रंग के व्यक्तियों की संख्या मरने वालों में ज्यादा न हो।

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