अमेरिका में उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही जॉनसन की वैक्सीन, जानें इसकी वजह
अमेरिका में जब गत फरवरी में जॉनसन एंड जॉनसन की एक डोज वाली वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी मिली थी तब उस समय इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया गया था। माना गया था कि इसके जरिये अमेरिका के वंचित तबके तक टीकाकरण अभियान को ले जाने में मदद मिलेगी।
वाशिंगटन [द न्यूयॉर्क टाइम्स]। अमेरिका में जब गत फरवरी में जॉनसन एंड जॉनसन की एक डोज वाली वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी मिली थी, तब उस समय इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया गया था। माना गया था कि इसके जरिये अमेरिका के वंचित तबके तक टीकाकरण अभियान को ले जाने में मदद मिलेगी। दो खुराक वाली वैक्सीनों के मुकाबले जॉनसन की वैक्सीन का खूब प्रचार किया गया था लेकिन अभी तक यह अमेरिकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है।
अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन की अब तक महज एक करोड़ 18 लाख ही डोज लग पाई है। गत अप्रैल में इस वैक्सीन के दुष्प्रभाव की खबर आने के बाद दस दिनों के लिए इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। कुछ लोगों में रक्त का थक्का (ब्लड क्लाटिंग) बनने की समस्या सामने आई थी। पिछले हफ्ते जॉनसन की वैक्सीन को एक और झटका उस समय लगा था जब अधिकारियों ने बाल्टीमोर प्लांट में बनी लाखों डोज की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। साथ ही कहा था कि इन्हें फेंक दिया जाना चाहिए।
अमेरिका में एफडीए ने जानसन एंड जानसन से कहा है कि उसके बाल्टीमोर प्लांट में तैयार की गईं कोरोना रोधी वैक्सीन की छह करोड़ डोज का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनकी गुणवत्ता पर संदेह है।
अमेरिका में जानसन एंड जानसन की 10 करोड़ और एस्ट्राजेनेका की सात करोड़ से अधिक डोज को मार्च में उस समय होल्ड पर रख दिया गया था जब इमरजेंट को यह पता चला था कि उसके श्रमिकों ने जानसन एंड जानसन की वैक्सीन के एक बैच में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के एक अहम अवयव को मिला दिया था। अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन भी लगाई जा रही है।