दक्षिण फ्लोरिडा के भारतीय अमेरिकियों ने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ किया प्रदर्शन

कश्मीर में बढ़ते इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ अब विरोध होना शुरू हो गया है। दक्षिण फ्लोरिडा के भारतीय अमेरिकियों ने रविवार को कश्मीर में बढ़ते इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया। कश्मीर हिंदू फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने कश्मीर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस्लामी जिहाद बंद करो।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 08:20 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 08:20 AM (IST)
दक्षिण फ्लोरिडा के भारतीय अमेरिकियों ने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ किया प्रदर्शन
दक्षिण फ्लोरिडा के भारतीय अमेरिकियों ने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ किया प्रदर्शन

वाशिंगटन, पीटीआइ। कश्मीर में बढ़ते इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ अब विरोध होना शुरू हो गया है। दक्षिण फ्लोरिडा के भारतीय अमेरिकियों ने रविवार को कश्मीर में बढ़ते इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया। कश्मीर हिंदू फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने कश्मीर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस्लामी जिहाद बंद करो और इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे नारे लगाए। केएचएफ के संस्थापक सदस्य दीपक गंजू ने वैश्विक समुदाय से जागने और यह समझने का आग्रह किया कि कश्मीर में जो हो रहा है वह दुनिया में कहीं भी मानवाधिकारों का उल्लघंन है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनके परिवारों को 1990 में भागने के लिए मजबूर किया गया था और वे अपने घर लौटने में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार से घाटी में शेष अल्पसंख्यक सदस्यों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने के साथ ही यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि कोई और लक्षित हत्याएं न हों।

दक्षिण कश्मीर में छोटा बिहार कहलाने वाले वनपोह में अब अजब सी खामोशी है। सुबह सवेरे बाजार में श्रमिकों की नजर आने वाली भीड़ आज भी नजर आई, लेकिन कोई दिहाड़ी नहीं तलाश रहा, बल्कि सभी अपने अपने घरों को लौटने के लिए गाड़ी तलाश रहे थे।

बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और मध्यप्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों से कश्मीर में रोजी रोटी कमाने आए इन लोगों की चेहरे पर डर की लकीरें हालात की सच्चाई बयान कर देती हैं। अपने भाई के साथ जम्मू के लिए टैक्सी में सवार हो रहे नीतेश्वर साहू ने कहा कि साहब, हम तो यहां सिर्फ रोजी-रोटी कमाने आए हैं, हमारा क्या कसूर। फिर हमें क्यों धमकाया जा रहा है। सवाल का जवाब आसान है, लेकिन कोई खुलकर नहीं बोलना चाहता, क्योंकि जो बोलेगा वही नंगा हो जाएगा। चाहे फिर स्थानीय समाज हो, सियासतदान हों या फिर सरकारी तंत्र।

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