NSG पर भारत को मिला US का साथ लेकिन चीन अभी भी अटका रहा रोड़ा

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए भले ही चीन अड़ंगा लगा रहा हो, लेकिन अमेरिका भारत के समर्थन में है।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 11:29 AM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 11:41 AM (IST)
NSG पर भारत को मिला US का साथ लेकिन चीन अभी भी अटका रहा रोड़ा
NSG पर भारत को मिला US का साथ लेकिन चीन अभी भी अटका रहा रोड़ा

वाशिंगटन (पीटीआइ)। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए भले ही चीन अड़ंगा लगा रहा हो, लेकिन अमेरिका भारत के समर्थन में है। गुरुवार को ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन के वीटो के कारण भारत एनएसजी की सदस्यता हासिल नहीं कर पाया है, लेकिन अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्यता की वकालत करता रहेगा, क्योंकि भारत इसके सभी मानदंडों को पूरा करता है।

NSG की राह का रोड़ा बना चीन

इससे पहले नई दिल्ली में छह सितंबर को हुई टू प्लस टू वार्ता के दौरान भी भारत और अमेरिका एनएसजी की सदस्यता जल्द-से-जल्द दिलाने के लिए एकसाथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए थे। बता दें कि भारत 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में स्थान पाना चाहता है, लेकिन चीन लगातार उसकी राह में रोड़े अटकाता रहा है। यह समूह परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है।

भारत को अमेरिका और इस समूह के सदस्य ज्यादातर पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि चीन लगातार एनपीटी के माध्यम से भारत की राह में रोड़े अटका रहा है। चीन इस रूख पर कायम है कि नए सदस्य को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने चाहिए, जिस कारण भारत का इस समूह में प्रवेश मुश्किल हो गया है। दरअसल, भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। वहीं, इस समूह में आपसी सहमति से ही शामिल होने का प्रावधान है।

NSG के लिए योग्य भारत 

दक्षिण और मध्य एशिया के लिए उप विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने कहा, 'एनएसजी आम सहमति पर आधारित संगठन है। चीन के विरोध के कारण भारत इसकी सदस्यता हासिल नहीं कर पा रहा है।' एक सवाल के जवाब में वेल्स ने कहा, 'हमारा मानना है कि चीन के वीटो के कारण हम भारत के साथ अपने सहयोग को सीमित नहीं करेंगे। निश्चित तौर पर हम एसटीए के दर्जे के साथ आगे बढ़े हैं और हम जानते हैं कि भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए सभी मानदंडों को पूरा करता है। हम भारत सी सदस्यता की सक्रियता से वकालत करना जारी रखेंगे।' उन्होंने कहा कि भारत को कूटनीतिक व्यापार प्राधिकार (एसटीए-1) का दर्जा देकर अमेरिका ने उसे अमेरिकी के निकटतम सहयोगियों की सूची में रख दिया है।

वहीं, विदेश विभाग की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ परमाणु समझौते की प्रक्रिया शुरू हुए दस साल पूरे होने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वेस्टिंगहाउस दिवालियापन से बाहर निकल रही है अब हमारे पास इस समझौते को पूरा करने का अवसर है। जिसके तहत हमारी बड़ी कंपनियों में से एक कंपनी करोड़ों भारतीय नागरिकों को सुरक्षित और स्वच्छ ईंधन मुहैया कराएगी।'उन्होंने कहा, यह वास्तव में एक और रोमांचक अध्याय है, जिसे बंद करने की उम्मीद कर सकते हैं। निश्चित रूप से, हम वेस्टिंगहाउस का समर्थन करेंगे क्योंकि यह भारत के साथ अपनी बातचीत जारी रखता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 8 अक्टूबर, 2008 को अमेरिकी कांग्रेस द्वारा अनुमोदित भारत-यूएस परमाणु समझौते के कानून पर हस्ताक्षर किए थे।

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