मोदी सरकार को भरोसा, US प्रतिनिधि सभा में भारत के पक्ष में होगा जयापाल का कश्‍मीर प्रस्‍ताव

अमेरिकी कांग्रेस की सदस्‍य प्रमिला जयपाल द्वारा लाए गए कश्‍मीर प्रस्‍ताव पर भारत ने अपने पक्ष में हाेने की उम्‍मीद जताई है। सूत्रों ने कहा है कि यह महज संकल्‍प मात्र है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 02:38 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 02:38 PM (IST)
मोदी सरकार को भरोसा, US प्रतिनिधि सभा में भारत के पक्ष में होगा जयापाल का कश्‍मीर प्रस्‍ताव
मोदी सरकार को भरोसा, US प्रतिनिधि सभा में भारत के पक्ष में होगा जयापाल का कश्‍मीर प्रस्‍ताव

वाशिंगटन, एजेंसी । भारतीय मूल की अमेरिकी कांग्रेस की सदस्‍य प्रमिला जयपाल द्वारा लाए गए कश्‍मीर प्रस्‍ताव पर भारत ने अपने पक्ष में हाेने की उम्‍मीद जताई है। सूत्रों ने कहा है कि यह महज संकल्‍प मात्र है। दूसरे प्रतिनिधि सभा में उनके दल के समर्थन का भी अभाव है। बता दें कि जयापाल ने जो प्रस्ताव पेश किया है। उसे सिर्फ रिपब्लिकन सांसद स्टीव वाटकिंस का समर्थन मिला है। यह साधारण प्रस्ताव है, जिस पर सीनेट में वोटिंग नहीं हो सकने की जानकारी सामने आई है और न ही इसे लागू करने के लिए कोई दबाव बनाया जा सकता है। इसमें कानून का बल नहीं है। इस बीच अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन ने और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय महावाणिज्य दूत संजय पांडा ने जयपाल से कश्मीर पर भारत की स्थिति की व्याख्या की।

कश्मीर से प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने संसद में प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव का पिछले काफी दिनों से अमेरिका में विरोध भी हो रहा है। यही नहीं इस विरोध में भारतीय अमेरिकन के समूह ने उनके दफ्तर के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी किया। जयपाल इस प्रस्ताव के जरिए मांग कर रही हैं कि भारत सरकार जितना जल्दी संभव हो हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ दे और राज्य में संचार शुरु किया जाए। यानी वह जम्मू कश्मीर में इटरनेट सेवा के बहाल करने की हिमायत कर रही हैं। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षबलों को वहां पर काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

यही नहीं सीमापार से आने वालों को भी वहां पर खतरा है। उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने की शर्त भारत सरकार को कड़ी नहीं करनी चाहिए। उन्हें रिहा करने के लिए जिन बॉन्ड्स पर साइन कराया जा रहा है, उनमें भाषण और राजनीतिक क्रिया-कलापों को रोकने की शर्त नहीं होनी चाहिए। बता दें कानून व्‍यस्‍था के मद्देनजर भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के बाद से ही वहां कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं। 

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