कश्मीर पर ब्रिटिश सांसदों की चर्चा पर भारत नाराज, कहा- पाकिस्तान के दिए गलत तथ्यों पर बहस अस्वीकार्य

ब्रिटेन के संसद परिसर में कश्मीर पर हुई बहस में कुछ सांसदों के गलत तथ्य रखने पर भारत ने विरोध जताया है। भारत ने कहा है कि ये गलत तथ्य पाकिस्तान ने अपने दुष्प्रचार अभियान के तहत उन सांसदों को उपलब्ध कराए थे जिन्हें बहस के दौरान रखा गया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 09:38 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 09:38 PM (IST)
कश्मीर पर ब्रिटिश सांसदों की चर्चा पर भारत नाराज, कहा- पाकिस्तान के दिए गलत तथ्यों पर बहस अस्वीकार्य
कश्मीर पर हुई बहस में ब्रिटेन के कुछ सांसदों के गलत तथ्य रखने पर भारत ने विरोध जताया है।

लंदन, पीटीआइ। ब्रिटेन के संसद परिसर में कश्मीर पर हुई बहस में कुछ सांसदों के गलत तथ्य रखने पर भारत ने विरोध जताया है। कहा है कि ये गलत तथ्य पाकिस्तान ने अपने दुष्प्रचार अभियान के तहत उन सांसदों को उपलब्ध कराए थे जिन्हें बहस के दौरान रखा गया। इस बहस में आमतौर पर संसदीय बहस से दूर रहने वाले ब्रिटिश सांसदों ने हिस्सा लिया। यह बहस हाउस ऑफ कॉमंस के वेस्टमिंस्टर हॉल में बुधवार को आयोजित की गई थी।

इस बहस का विषय था- कश्मीर में राजनीतिक हालात। लंदन स्थित भारतीय दूतावास ने कहा है कि इस बहस का विषय ही भ्रम पैदा करने वाला है। मौजूदा समय में दो कश्मीर हैं, भारत का अभिन्न हिस्सा जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर। वास्तव में कश्मीर का भारत में कानूनी विलय अक्टूबर 1947 में ही हो गया था। लेकिन बाद में उसके एक हिस्से पर पाकिस्तान ने गैरकानूनी तरीके से हिंसा के जरिये कब्जा कर लिया।

जहां तक भारत के केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो उसके बारे में सभी तरह की तथ्यात्मक जानकारियां जनता के सामने हैं। ये जानकारियां तिथिवार दर्ज होती हैं। इन तथ्यगत जानकारियों की अनदेखी कर किसी तीसरे देश का दुष्प्रचार पर विश्वास कर चर्चा करना गलत है। इस बहस में कश्मीर में नरसंहार, सरकारी हिंसा और उत्पीड़न पर चर्चा की गई, जो तथ्यों से परे है।

मामले पर ब्रिटिश सरकार की ओर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश और राष्ट्रमंडल मामलों के नीजेल एडम्स ने कहा, यह कश्मीर को लेकर यह ब्रिटेन का मंतव्य नहीं है। ब्रिटेन कश्मीर मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की मंशा नहीं रखता। हालांकि वह यह मानता है कि नियंत्रण रेखा के दोनों ओर मानवाधिकारों की स्थिति चिंता का विषय है। कश्मीर को लेकर ब्रिटिश सरकार की नीति स्पष्ट, स्थिर और अपरिवर्तित है। ब्रिटेन का मानना है कि कश्मीर द्विपक्षीय मसला है जिसे भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिये सुलझाना चाहिए। 

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