भारत ने संयुक्त राष्ट्र फंड में दिए करीब 115 करोड़ रुपये, विकासशील देशों को मिलेगी मदद

इस मौके पर यूएन ने कहा कि भारत-यूएन फंड ने प्रारंभिक वर्षो में उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 08:37 AM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 08:37 AM (IST)
भारत ने संयुक्त राष्ट्र फंड में दिए करीब 115 करोड़ रुपये, विकासशील देशों को मिलेगी मदद
भारत ने संयुक्त राष्ट्र फंड में दिए करीब 115 करोड़ रुपये, विकासशील देशों को मिलेगी मदद

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र फंड में 1.55 करोड़ डॉलर (करीब 115 करोड़ रुपये) का योगदान दिया है। यह राशि भारत-यूएन विकास साझेदारी कोष में दी गई है। भारत ने यह योगदान अपनी उस प्रतिबद्धता को बल देने के लिए दिया है, जिसमें विकासशील देशों के सभी सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने का समर्थन किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने मंगलवार को 1.55 करोड़ डॉलर का चेक यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर साउथ-साउथ कोऑपरेशन (यूएनओएसएससी) के निदेशक जॉर्ज चेडिक को सौंपा। चेक सौंपने के दौरान शारीरिक दूरी संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया। इस मौके पर जॉर्ज ने कहा, 'भारत-यूएन फंड ने प्रारंभिक वर्षो में उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं।'

यूएनओएसएससी ने एक बयान में कहा कि कोरोना महामारी के दौर में दुनियाभर के विकासशील देश जनस्वास्थ्य समेत कई लक्ष्यों को हासिल करने में जूझ रहे हैं। ऐसे हालात के बावजूद भारतीय सरकार ने अपने समान दूसरे विकासशील देशों के विकास संबंधी प्राथमिकताओं का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।

दक्षिण पूर्व एशिया पर गंभीर संकट

कोरोना महामारी को रोकने के दिशा में संयुक्‍त राष्‍ट्र ने दक्षिण पूर्व एशियाई मुल्‍कों की सराहना की है। यूएन ने कहा है कि इन मुल्‍कों की सरकारों ने कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए तेजी से कार्य किया है। हालांकि, संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इन देशों में बढ़ रही असमानता पर गंभीर चिंता प्रगट की है। इन मुल्‍कों में बढ़ती असमानताओं को रोकने के लिए कहा है। 

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव की संक्षिप्‍त नीति में दक्षिण पूर्व एशिया में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के गहरे खतरों की ओर संकेत किया गया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह कोरोना महामारी का स्वास्थ्य, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव दक्षिण-पूर्व एशिया में सर्वाधिक रहा है। इन मुल्‍कों की सरकारों को इसे समाप्‍त करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने एक सतत विकास के मार्ग में गहरी असमानता, सुशासन में कमी को उजागर किया है। इसने शांति और सुरक्षा सहित नई चुनौतियों का खुलासा किया है।

chat bot
आपका साथी