लड़कों की तुलना में मोटापे से पीडि़त लड़कियों में हृदय रोग का उच्च खतरा, पढ़ें- शोध में सामने आईं बातें
बचपन का मोटापा स्वास्थ्य विशेषज्ञों और विज्ञानियों के लिए चिंता बढ़ा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वर्ष 2016 में दुनियाभर में पांच से 19 वर्ष उम्र के करीब 34 करोड़ बच्चे ज्यादा वजनी या मोटापे की चपेट में थे।
वाशिंगटन, एएनआइ। किशोर उम्र के लड़कों और लड़कियों में मोटापे को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि मोटापे के चलते लड़कियों को जीवन में आगे चलकर हृदय रोग के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। मोटापे से पीडि़त लड़कियों में लड़कों की तुलना में इसका उच्च खतरा पाया गया है। बचपन का मोटापा स्वास्थ्य विशेषज्ञों और विज्ञानियों के लिए चिंता बढ़ा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वर्ष 2016 में दुनियाभर में पांच से 19 वर्ष उम्र के करीब 34 करोड़ बच्चे ज्यादा वजनी या मोटापे की चपेट में थे।
फ्रंटियर्स पत्रिका में अध्ययन के नतीजों को प्रकाशित किया गया है। ब्राजील में किशोर उम्र के 92 बच्चों पर यह अध्ययन किया गया था। ब्राजील की साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल साइंसेज इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के अनुसार, मोटापे से पीडि़त लड़कियों में लिपिड के स्तर में बदलाव देखने को मिला। जबकि सामान्य लड़कियों में कोई बदलाव नहीं पाया गया। अध्ययन की शोधकर्ता एस्टीफेनिया सिमोस ने कहा, 'हमने मोटापे से जुड़े इन बदलावों को पाया है।
इससे ब्लड प्रेशर और डिसलिपिडेमिया बढ़ता है।' रक्त में कोलेस्ट्राल और दूसरे लिपिड्स के असामान्य स्तरों को डिसलिपिडेमिया कहते हैं। लिपिड को फैट भी कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन में शामिल मोटापे से पीडि़त लड़कों और सामान्य वजन वाले लड़कों में इस तरह का कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं पाया गया। सिमोस ने कहा, 'अध्ययन में 11 से 16 वर्ष की उम्र के सामान्य और मोटापे से पीडि़त लड़के और लड़कियों में लिपिड और लिपोप्रोटीन के साथ हार्मोन के स्तरों की तुलना की गई थी।'