अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर बदली नीति का विरोध, हार्वर्ड और एमआइटी पहुंचे कोर्ट

अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर बदली नीति का मामला अब कोर्ट पहुंच गया है। याचिका में ट्रंप सरकार के आदेश पर अस्थायी रोक लगाने का आग्रह किया गया है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 08:15 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 08:15 PM (IST)
अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर बदली नीति का विरोध, हार्वर्ड और एमआइटी पहुंचे कोर्ट
अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर बदली नीति का विरोध, हार्वर्ड और एमआइटी पहुंचे कोर्ट

न्यूयॉर्क, एजेंसियां। अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेकर बदली गई नीति के खिलाफ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कोर्ट पहुंच गए हैं। दोनों ही संस्थानों ने संघीय कोर्ट से ट्रंप प्रशासन के आदेश पर अस्थायी रोक लगाने का आग्रह किया है। बता दें कि आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आइसीई) ने सोमवार को घोषणा की थी कि उन विदेशी छात्रों को देश छोड़ना होगा या निर्वासित होने के खतरे का सामना करना होगा, जिनके विश्‍वविद्यालय महामारी के चलते इस सेमेस्टर पूरी तरह से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे।

हार्वर्ड प्रेसिडेंट लारेंस बकाउ ने संस्थान के कर्मचारियों और छात्रों को किए गए एक ई-मेल में कहा कि एमआइटी के साथ मिलकर हमने बोस्टन स्थित यूएस डिस्ट्रिक कोर्ट में एक याचिका डाली है। याचिका में हमने कोर्ट से ट्रंप प्रशासन के फैसले पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई है। हम इस मामले को कोर्ट में पूरी गंभीरता के साथ उठाएंगे, जिससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को देश छोड़कर नहीं जाना पड़े। बता दें कि हार्वर्ड पहले ही शेष शैक्षिक सत्र के दौरान सभी कक्षाएं ऑनलाइन संचालित करने का एलान कर चुका है।

बकाउ ने कहा कि इस आदेश को लागू किए जाने से पहले किसी तरह का नोटिस नहीं जारी किया गया। ऐसा लगता है कि इसे कॉलेज और विश्वविद्यालय पर दबाव बनाने के लिए जानबूझकर तैयार किया गया है, ताकि वह सीधी पढ़ाई के लिए शैक्षिक संस्थान खोलने को विवश हों।

अमेरिकी सांसदों ने की आलोचना

होमलैंड सिक्योरिटी कमेटी के चेयरमैन और सांसद बेनी थांपसन और फेसिलिटेशन एंड आपरेशंस सब कमिटी की चेयरवूमेन कैथलीन राइस ने एक संयुक्त बयान में कहा कि नई नीति से ना केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, बल्कि इससे अमेरिकी शैक्षिक संस्थानों को भी नुकसान होगा। स्टेनफोर्ड संस्थान के अध्यक्ष मार्क टेसियर लविग्ने ने कहा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए कठिनाई पैदा करेगा। उधर, विदेश मंत्रालय ने फैसले को अस्थायी बताते हुए कहा है कि नई नीति के तहत कुछ मामलों में ऑनलाइन और व्यक्तिगत उपस्थिति के तहत पढ़ाई करने की छूट मिलती रहेगी।

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