एच-1बी वीजा में बदलाव को लेकर अमेरिकी संसद में बिल पेश, अधिक वेतन देने का भी है प्रस्ताव

रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों मो ब्रुक्स मैट गेट्ज और लांस गूडेन की ओर से पेश किए गए अमेरिकन जॉब्स फ‌र्स्ट एक्ट नामक विधेयक में आव्रजन और राष्ट्रीयता कानून में जरूरी परिवर्तन करके एच-1बी वीजा कार्यक्रम में आमूल-चूल बदलाव का प्रस्ताव है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 04:00 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 04:00 PM (IST)
एच-1बी वीजा में बदलाव को लेकर अमेरिकी संसद में बिल पेश, अधिक वेतन देने का भी है प्रस्ताव
अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में पेश हुआ है बिल

वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतीय पेशेवरों में लोकप्रिय एच-1बी वीजा में बदलाव को लेकर अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में एक बिल पेश किया गया है। इसमें उन नियोक्ताओं को एच-1बी वीजा धारकों को नौकरी पर रखने से रोकने की बात है, जिन्होंने अमेरिकी कामगारों को हाल में लंबी छुट्टी पर भेज दिया है या फिर उनकी ऐसी कोई योजना है। इसमें अमेरिकी कामगारों की तुलना में एच-1बी वीजा धारकों को अधिक वेतन देने का भी प्रस्ताव है।

रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों मो ब्रुक्स, मैट गेट्ज और लांस गूडेन की ओर से पेश किए गए 'अमेरिकन जॉब्स फ‌र्स्ट एक्ट' नामक विधेयक में आव्रजन और राष्ट्रीयता कानून में जरूरी परिवर्तन करके एच-1बी वीजा कार्यक्रम में आमूल-चूल बदलाव का प्रस्ताव है।

अमेरिकी नागरिक की तुलना में ज्यादा सालाना वेतन का प्रस्ताव

बुधवार को पेश किए गए इस बिल के अनुसार, एक विदेशी कामगार को तब तक एच-1बी गैर-आव्रजक का दर्जा नहीं दिया जा सकता है, जब तक उसका नियोक्ता श्रम मंत्री के समक्ष यह आवेदन नहीं करता है कि वह उसे अमेरिकी नागरिक की तुलना में ज्यादा सालाना वेतन का प्रस्ताव दे रहा है।

ब्रुक्स ने कहा, 'आवश्यक सुधार के साथ यह बिल यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी कामगारों को अपने देश में और नुकसान उठाना नहीं पड़े।' उन्होंने बताया कि विदेशी कामगारों के कम पारिश्रमिक पर उपलब्ध होने जैसे लालच को खत्म करने के लिए बिल में व्यवस्था की गई है कि नियोक्ताओं को किसी भी एच-1बी वीजा धारक कामगार को न्यूनतम एक लाख दस हजार डॉलर (करीब 80 लाख रुपये) का भुगतान करना होगा।

क्या है एच-1बी वीजा

एच-1बी वीजा के आधार पर अमेरिकी कंपनियां उच्च कुशल विदेशी कामगारों को रोजगार देती हैं। इसके लिए वे भारत और चीन जैसे देशों पर निर्भर हैं। हर साल विभिन्न श्रेणियों में 85 हजार वीजा जारी किए जाते हैं। यह वीजा तीन साल के लिए जारी होता है।

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