अब घरेलू आतंकवाद से जूझ रहा अमेरिका, संसद पर हमले के पीछे भी यही, एफबीआइ प्रमुख ने किया आगाह
एफबीआइ के प्रमुख क्रिस्टोफर रे ने कहा कि संसद पर हमला आपराधिक व्यवहार वाले लोगों का हमला था और इसे हम घरेलू आतंकवाद की श्रेणी में रखते हैं। एफबीआइ प्रमुख इस हिंसा के बाद पहली बार सीनेट की जांच का सामना कर रहे हैं।
वाशिंगटन, एजेंसियां। एफबीआई प्रमुख क्रिस्टोफर रे (FBI Director Christopher Wray) ने कहा है कि जनवरी में अमेरिकी संसद भवन में हुई हिंसा 'घरेलू आतंकवाद' का नतीजा थी। उन्होंने देश के भीतर ही तेजी से बढ़ रहे हिंसक अतिवाद के खतरे के प्रति आगाह किया। एफबीआई प्रमुख ने छह जनवरी को हिंसा होने की आशंका संबंधी खुफिया रिपोर्ट पर एजेंसी की ओर से कार्रवाई किए जाने को लेकर सीनेट की समिति में पक्ष रखा।
दरअसल, अमेरिका में छह जनवरी को कैपिटल हिल (संसद) पर हमले के मामले में सीनेट की समिति में सुरक्षा एजेंसियों से पूछताछ की जा रही है। यहां पर पेश हुए अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो यानी एफबीआइ के प्रमुख क्रिस्टोफर रे ने कहा कि संसद पर हमला आपराधिक व्यवहार वाले लोगों का हमला था और इसे हम घरेलू आतंकवाद की श्रेणी में रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस हिंसा में उनका ब्यूरो हजारों जांच से जूझ रहा है।
एफबीआइ प्रमुख हिंसा के बाद पहली बार सीनेट की जांच का सामना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि घरेलू आतंकवाद कोई पहली घटना नहीं है, इससे देश के अन्य क्षेत्र भी मुकाबला कर रहे हैं। 2011 के सितंबर 11 की घटना के बाद से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले को तैयार होने वाली सुरक्षा एजेंसियों के लिए अब घरेलू आतंकवाद नई परेशानी है।
एफबीआइ प्रमुख ने कहा कि उन्हें इस घटना में श्वेतों के संगठन एंटिफा मूवमेंट का हाथ होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसका मतलब यह नहीं कि वह हमारी जांच के दायरे में नहीं हैं। सीनेट की न्याय पालिका समिति के सामने अब एफबीआइ के साथ ही पेंटागन, नेशनल गार्ड , होमलैंड सिक्योरिटी के अधिकारियों को भी पेश होना पड़ेगा।
मालूम हो कि राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक पर एफबीआइ और आंतरिक सुरक्षा विभाग के साथ मिल कर इस खतरे का आकलन करने की जिम्मेदारी सौंपी है। एफबीआइ प्रमुख ने कहा कि जब साल 2017 में वह एजेंसी के निदेशक बने थे तो संघीय जांच ब्यूरो के पास घरेलू आतंकवाद के 1,000 मामले जांच के लिए थे लेकिन इस साल के अंत तक ये 1,400 हो गए। मौजूदा वक्त में एफबीआइ के पास करीब दो हजार ऐसे मामले हैं।