कोविड के बाद भी साल भर रहता है बीमारी का असर, मरीज में दिखते हैं इसके नकारात्मक प्रभाव

इस नए शोध को अमेरिकन जरनल आफ फिजिकल व रीहैबिलिटेशन मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में सबसे पहले वास्तविक नुकसान और सिंड्रोम के प्रभाव का आंका गया। साथ ही उन कारकों का भी गहन अध्ययन किया गया जो इन लक्षणों को बढ़ाने का कारण बन सकते हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 05:47 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 05:47 PM (IST)
कोविड के बाद भी साल भर रहता है बीमारी का असर, मरीज में दिखते हैं इसके नकारात्मक प्रभाव
इस सिंड्रोम को कहते हैं 'लांग कोविड'

वाशिंगटन, एएनआइ। न्यू माउंट सिनाई के ताजा शोध के मुताबिक वैश्विक महामारी कोविड-19 के मरीजों में ठीक होने के बाद भी करीब एक साल तक लक्षण नजर आ सकते हैं। इस सिंड्रोम को 'लांग कोविड' भी कहते हैं। इस संक्रमण के ठीक होने के बाद भी मरीज में इसका नकारात्मक प्रभाव दिखता है। इससे उनकी पहचानने की क्षमता, कार्यक्षमता, शारीरिक गतिविधियों में भागीदारी, अन्य लोगों के साथ मेलजोल और जीवन की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

इस नए शोध को 'अमेरिकन जरनल आफ फिजिकल व रीहैबिलिटेशन मेडिसिन' में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में सबसे पहले वास्तविक नुकसान और सिंड्रोम के प्रभाव का आंका गया। साथ ही उन कारकों का भी गहन अध्ययन किया गया जो इन लक्षणों को बढ़ाने का कारण बन सकते हैं। इस शोध से सांसदों को भी इस संबंध में कानून बनाने में मदद मिलेगी कि इस वैश्विक महामारी के खिलाफ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसी रणनीतियां बनाई जाएं। ताकि मरीज इस बीमारी के दुष्प्रभावों से जल्द से जल्द से पूरी तरह उबर सकें।

माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम फार रिहैबिलिटेशन सेंटर के निदेशक (पीएचडी) डेविड पुत्रिनो ने बताया कि नोवल कोरोना से लाखों अमेरिकी नागरिक संक्रमित हुए और उनमें लांग कोविड के सिंड्रोम नजर आने लगे। इस बीमारी से उबर रहे मरीजों को उनकी दिनचर्या में रोजमर्रा के कामकाज को अंजाम देने में मदद करने के उपाय बताए जाते हैं। हालांकि इन उपायों और उनके इलाज को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। मार्च 2020 से मार्च 2021 के बीच हुए अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को उससे पूरी तरह से उबरने में लंबा समय लगता है कि लेकिन उस दौरान उन्हें खासी देखभाल की जरूरत होती है। उनमें भारी तनाव, थकान, सांस लेने में तकलीफ और शारीरिक गतिविधियों में परेशानी महसूस होती है। कई मामलों में पहचानने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसमें थकान (82 फीसद) लोगों में पाई गई। सिरदर्द (60 फीसद), बाधित नींद (59 फीसद) और सिर चकराना (54 फीसद) मरीजों में ठीक होने के बाद देखा गया है। 

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