चुनाव से पहले बैंक और इंश्योरेंस मामले की जांच में बढ़ सकती है डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें
करीब दो साल से चल रही जांच में अब एक नया मोड़ आता दिखाई दे रहा है। इससे ट्रंप उनकी कंपनी व अधिकारियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
वाशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स। कांटे के चुनाव में फंसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो सकती है। मैनहट्टन के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस ने बैंक और इंश्योरेंस घोटाले के संदर्भ में ट्रंप और उनकी कंपनी की जांच गहराई से किए जाने का सुझाव दिया है। अभियोजक पहले इस मामले की गंभीरता को ठीक से समझ नहीं पाए थे। अटॉर्नी ऑफिस ने यह सुझाव एक नई याचिका पर दिया है।
याचिका में दो सुझाव दिए गए हैं। पहला, ट्रंप के एकाउंटेंट्स को जजों की एक बड़ी बेंच के सामने पेश होने के लिए कहा जाए। दूसरा, उनसे ट्रंप के आठ साल के व्यक्तिगत और कारपोरेट टैक्स रिटर्न के बारे में पूछताछ की जाए। ट्रंप पहले ही इसे कानूनी चुनौती दे चुके हैं। अभी तक डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी की जांच विशेष रूप से 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दो महिलाओं को कथित रूप से चुप रहने के लिए दी गई मोटी रकम पर केंद्रित रही है। इन महिलाओं ने ट्रंप से अंतरंग संबंधों की बात कही थी।
अभियोजकों ने कहा कि कोर्ट में पूर्व के निर्विवाद दावों और ट्रंप के व्यावसायिक तौर-तरीकों को लेकर मीडिया की खबरें ट्रंप के एकाउंटेंट्स को समन करने के लिए पर्याप्त कानूनी आधार मुहैया कराती हैं। अभियोजकों ने अखबार की कई खबरों का हवाला देते हुए कहा कि अपनी संपत्ति को लेकर ट्रंप शक के दायरे से बाहर नहीं हैं। उन्होंने सालभर पहले ट्रंप के पूर्व वकील माइकल डी कोहेन की गवाही का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रंप ने इंश्योरेंस फ्रॉड किया है।
हालांकि, राष्ट्रपति के वकीलों ने कुछ भी गलत किए जाने से इन्कार किया था। बहरहाल, करीब दो साल से चल रही जांच में अब एक नया मोड़ आता दिखाई दे रहा है। इससे ट्रंप, उनकी कंपनी व अधिकारियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। रिश्वत देना उतना गंभीर अपराध नहीं है, जितना फर्जी कागजात पेश करना। व्हाइट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने डेमोक्रेट्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह अमेरिकी इतिहास में बदले की सबसे बड़ी कार्रवाई है। यह बड़ा भयानक है। समन को लेकर ट्रंप और अटॉर्नी ऑफिस के बीच सालभर से चल रही यह लड़ाई पहले ही सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है। इसके चलते जांच की गति धीमी हो चुकी है और इसका क्या नतीजा निकलेगा, अभी कुछ कहना मुश्किल है।