डिस्क गैलेक्सी बनने की प्रक्रिया का चला पता, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने सुलझाया ब्रह्मांड का रहस्य

पूर्व में हुए एक अध्ययन में आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिक और खगोल विज्ञान के एक प्रोफेसर ने कहा था कि डेस्क गैलेक्सी बचपन की चोटों के निशान की तरह होती है जो समय के साथ-साथ सपाट होती चली जाती है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 09:57 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 09:57 PM (IST)
डिस्क गैलेक्सी बनने की प्रक्रिया का चला पता, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने सुलझाया ब्रह्मांड का रहस्य
गैलेक्सी तारों और गैसों का एक ऐसा समूह है जो पृथ्वी से गोल और चपटी दिखती है।

वाशिंगटन, एएनआइ। हमारा ब्रह्मांड कई रहस्यों और अचरजों से भरा पड़ा है। समय-समय पर खगोलविज्ञानी अध्ययन कर इनसे पर्दा उठाते रहते हैं। अब एक नए अध्ययन में विज्ञानियों ने यह पता लगाया है कि गैलेक्सियों में कैसे गैस के गुच्छे कुछ तारों को उनकी कक्षा से बिखरा देते हैं और एक खास चमक के साथ 'डिस्क गैलेक्सी' का निर्माण करते हैं। यह गैलेक्सी तारों और गैसों का एक ऐसा समूह है जो पृथ्वी से गोल और चपटी दिखती है। इस प्रकार की गैलेक्सियों में सर्पिल, ड्वार्फ अंडाकार और कुछ अनियमित गैलेक्सियां शामिल की जाती हैं।

दस साल पहले आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी, विस्कॉन्सिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी और आइबीएम रिसर्च के शोधकर्ताओं एक अध्ययन शुरू किया था। शुरुआत में उन्होंने इस बात पर अपना ध्यान केंद्रित किया कि कैसे युवा गैलेक्सियों में विशाल गुच्छे तारों की कक्षा को प्रभावित करते हैं और एक ऐसी डिस्क गैलेक्सी बना लेते हैं जिनके केंद्र तो चमकदार होते हैं और किनारे तक आते-आते चमक फीकी हो जाती है।

पूर्व में हुए एक अध्ययन में आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिक और खगोल विज्ञान के एक प्रोफेसर ने कहा था कि डेस्क गैलेक्सी बचपन की चोटों के निशान की तरह होती है जो समय के साथ-साथ सपाट होती चली जाती है। नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह प्रक्रिया केवल युवा गैलेक्सियों पर ही लागू नहीं होती। सभी प्रकार की गैलेक्सियां इससे प्रभावित होती हैं।

इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिये अध्ययन किया। इसके लिए रियलिस्टिक मॉडल का सहारा लिया गया। शोधकर्ता कíटस स्ट्रक ने बताया, 'हमारा अनुमान है कि हमारे पास इस भौतिक प्रक्रिया की काफी गहरी समझ हो गई है जो करीब 50 साल पुरानी समस्या को सुलझा रही है।'

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि गैसों के विशाल गुच्छों से निकले गुरुत्व आवेग (ग्रेविटशनल इंपल्स) तारों की कक्षाओं को बदल देते हैं। नतीजा यह रहता है कि इससे तारों में पदार्थ का वितरण बदल जाता है और खास चमक का पैदा होना इस वितरण का संकेत देता है। शोधकर्ताओं की यह अध्ययन मंथली नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में ऑनलाइन प्रकाशित हुआ है। उनका दावा है, ' हमारा मॉडल पिछले मॉडल्स की तुलना में कहीं व्यापक और बेहतर परिणाम देने वाला है।

गैलेक्सी क्या है

असंख्य तारों और गैसों का एक ऐसा समूह है जो रात में स्वच्छ आसमान में अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती-सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वास्तव में एक पूर्ण चक्र का अंग है, जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। भारत में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं। हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, उसे आकाशगंगा या मिल्की वे कहते हैं।

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