महामारी से उबर रहे अमेरिका को डेल्‍टा वैरिएंट से जबरदस्‍त खतरा, शीर्ष वैज्ञानिक डॉक्‍टर फॉसी का बयान

अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक डॉक्‍टर फॉसी ने कहा है कि अमेरिका को डेल्‍टा वैरिएंट से जबरदस्‍त खतरा है। हालांकि उन्‍होंने ये भी कहा है कि अमेरिकी वैक्‍सीन इस वैरिएंट पर भी असरदार है। इसलिए इसका पूरा इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 07:52 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 07:52 AM (IST)
महामारी से उबर रहे अमेरिका को डेल्‍टा वैरिएंट से जबरदस्‍त खतरा, शीर्ष वैज्ञानिक डॉक्‍टर फॉसी का बयान
अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक हैं डॉक्‍टर फॉसी

वाशिंगटन (पीटीआई)। अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक और व्‍हाइट हाउस के चीफ मेडिकल ए‍डवाइजर डॉक्‍टर एंथनी फॉसी ने देश को आगाह किया है कि कोरोना वायरस के बदले हुए स्‍वरूप डेल्‍टा वैरिएंट से जबरदस्‍त खतरा है। व्‍हाइट हाउस में हुई प्रेस ब्रीफिंग में उन्‍होंने कहा कि अमेरिका में आने वाले करीब 20 फीसद से अधिक नए मामलों में इसकी वजह से ही तेजी आई है। दो सप्‍ताह पहले तक ये करीब 10 फीसद मामलों में ही सामने आ रहा था। जिस तरह के हालात अमेरिका में हैं उसी तरह के हालात ब्रिटेन में भी दिखाई दे रहे हैं।

वर्चुअल तरीके से हुई प्रेस कांफ्रेंस में डॉक्‍टर फॉसी ने कहा कि इस बीच एक अच्‍छी खबर ये है कि अमेरिका की बनाई कोरोना वैक्‍सीन वायरस के डेल्‍टा वैरिएंट पर भी कारगर है। अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के प्रमुख के मुताबिक इस का निष्‍कर्ष ये है कि अमेरिका को जहां इस वैरिएंट से खतरा है वहीं हमारे पास इसको रोकने का एक कारगर हथियार भी है। इसलिए इस वैरिएंट को खत्‍म करने के लिए इसका पूरा इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि डेल्‍टा वैरिएंट का सबसे पहला मामला भारत में ही आया था। इसके बाद विश्‍व के करीब 60 से अधिक देशों ने इसके मामले सामने आने की पुष्टि की है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन इस वैरिएंट को पहले ही वैरिएंट ऑफ कंसर्न मतलब खतरनाक या घातक मान चुका है। डॉक्‍टर फॉसी का कहना है कि डेल्‍टा वैरिएंट धीरे-धीरे ब्रिटेन में भी पांव पसार रहा है। ब्रिटेन में सामने आने वाले एल्‍फा वैरिएंट को भी डब्‍ल्‍यूएचओ ने इसी सूची में शामिल किया है। हालांकि एल्‍फा से भी घातक डेल्‍टा को माना गया है।

ब्रिटेन में सामने आने वाले करीब 90 फीसद नए मामलों की वजह यही डेल्‍टा वैरिएंट बना है। जानकारों की राय में डेल्‍टा वैरिएंट का संक्रमण स्‍तर की वजह से SARS-CoV2 और एल्‍फा वैरिएंट से भी कहीं अधिक है। डॉक्‍टर फॉसी का कहना है कि डेल्‍टा वैरिएंट का असर ब्रिटेन के अस्‍पतालों में बढ़ती संख्‍या से लगाया जा सकता है। ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन द्वारा किए गए एक शोध में पता चला है कि ब्रिटेन में 5-12 और 18-24 वर्ष की आयु वर्ग के बीच अधिक खतरा है जबकि 65 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों को ये खतरा कम है। इस शोध में एक लाख घरों को शामिल किया था।

डॉक्‍टर फॉसी ने कहा कि अब यदि अमेरिका के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां पर डेल्‍टा वैरिएंट का संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है। 8 मई के आसपास ये जहां 1.2 से 2.7 और 9.9 फीसद था वहीं दो दिन में ही ये बढ़कर 20.6 तक पहुंच गया है। इसलिए इस वैरिएंट से अमेरिका को सावधान रहने की जरूरत है। ये महामारी में मिली अब तक की सफलता को नुकसान पहुंचा सकता है।

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