महामारी के दौरान दुनिया में तेजी से बढ़े साइबर अपराध, फिशिंग वेबसाइटों में 350 फीसद इजाफा
कोरोना काल में सभी देशों को आतंकवाद के खतरे को नहीं भूलना चाहिए। इसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र ([एजेंसी)]। संयुक्त राष्ट्र ([यूएन)] रिपोर्ट से यह पता चला है कि कोरोना महामारी के दौरान साइबर अपराध में तेज ब़़ढोतरी हुई है। इस साल की पहली तिमाई में फिशिंग वेबसाइटों में 350 फीसद का इजाफा होने की खबर है। इनमें से कईयों के जरिये अस्पतालों और हेल्थ केयर सिस्टम को निशाना बनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के आतंक रोधी मामलों के प्रमुख व्लादिमीर वोरोंकोव ने गुरूवार को सुरक्षा परिषषद को बताया कि हाल के महीनों में साइबर अपराध में उल्लेखनीय ब़़ढोतरी के तहत फिशिंग साइटों में वृद्धि हुई है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और दुनियाभर के विशेषज्ञ वैश्विक शांति, सुरक्षा और खासतौर पर संगठित अपराध व आतंकवाद पर महामारी के प़़डने वाले प्रभाव और नतीजे को अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। वोरोंकोव ने कहा, 'हम यह जानते हैं कि आतंकी कोरोना महामारी की आड़ में डर, नफरत और अलगाव फैलाने के साथ ही नए आतंकियों की भर्ती भी कर रहे हैं।
यही नहीं महामारी के दौरान इंटरनेट का उपयोग ब़़ढने के साथ ही साइबर अपराध भी ब़़ढे हैं।' उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश इस समय कोरोना के चलते उत्पन्न हेल्थ इमरजेंसी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ऐसे विकट हालात में इन देशों को आतंकवाद के खतरे को नहीं भूलना चाहिए। इसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है।
क्या है फिशिंग वेबसाइट
जिस प्रकार मछली पक़़डने के लिए कांटे में चारा लगाकर डाला जाता है और उसमें मछली फंस जाती है। उसी प्रकार फिशिंग को हैकर्स द्वारा इंटरनेट पर फर्जी वेबसाइट या ईमेल के माध्यम से यूजर्स के साथ की गई धोखाध़़डी को कहते हैं। इस तरीके से निजी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका गलत उपयोग किया जाता है।
खास बातें
संयुक्त राष्ट्र के आतंक रोधी मामलों के प्रमुख व्लादिमीर वोरोंकोव ने गुरूवार को सुरक्षा परिषषद को बताया कि हाल के महीनों में साइबर अपराध में उल्लेखनीय ब़़ढोतरी के तहत फिशिंग साइटों में वृद्धि हुई है।