कोरोना महामारी ने 12 करोड़ लोगों को बनाया विश्व में गरीब, इनमें भी महिलाएं सबसे अधिक
कोरोना महामारी की वजह से विश्व में 12 करोड़ लोग निर्धन हुए हैं। इसमें भी महिलाएं अधिक हैं। यूएन प्रमुख ने इस पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस खाई को जल्द से जल्द दूर करना होगा।
न्यूयार्क (यूएन)। विश्व में फैली कोरोना महामारी ने दुनिया के 12 करोड़ लोगों को गरीब बना दिया है। इस बात का खुलासा संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटारेस ने खुद किया है। रविवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इंटरनेशनल डे फार इरेडिक्शन आफ पावरटी वर्ल्ड मैप पर कहा कि बीते दशकों में भी गरीब लोगों की संख्या में तेजी नहीं देखी गई थी जितनी इस बार देखी गई है। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए यहां तक कहा कि विश्व में निर्धनता का जो स्तर मौजूदा समय में है वो हमें नैतिक कटघरे में खड़ा करता है।
यूएन प्रमुख ने ये भी कहा कि कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में समाज और अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का काम किया है। इसकी वजह से 12 करोड़ लोग निधर्रता की गर्त में धंस गए। इनको दोबारा से सम्मान जनक जीवन जीने और इनकी पुनर्बहाली पर अपनाए जाने वाले ढुलमुल रवैये की वजह से विश्व में अमीर गरीब की खाई और अधिक चौड़ी होती जा रही है। इसके समाधानर के लिए जिस एकजुटता की जरूरत है वो फिलहाल कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है।
यूएन प्रमुख ने विश्व को आगाह किया कि ये लड़ाई केवल निर्धनता के खिलाफ ही नहीं होनी चाहिए बल्कि विश्व में फैली असमानता के खिलाफ भी होनी चाहिए। इस मौके पर उन्होंने कोरोना वैक्सीन के वितरण के असमान वितरण का मुद्दा भी एक बार फिर से उठाया। उन्होंने कहा कि इस असमानता की वजह से ही विश्व में कोरोना के नए रूप देखने को मिले। इसकी वजह से विश्व में लाखों लोगों की जान तक गई और विश्व की अर्थव्यवस्था पर अरबों डालर की चपत भी लगी। गुटारेस ने कहा कि इसको रोकना बेहद जरूरी है। उन्होंने ये भी कहा कि पुनर्बहाली के लिये निवेश को सुनिश्चित करना होगा।
इस मौके पर उन्होंने एक तीन-सूत्री योजना भी पेश की। उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2030 तक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मजबूत राजनैतिक इच्छाशक्ति व साझीदारियों से शुरुआत करनी जरूरी होगी। निर्धनता बढ़ाने वाले कारकों को तलाश कर उनको खत्म करना होगा। ग्रीन इकनामी का फायदा उठाते हुए रोजगार उपलब्ध कराने होंगे। ये भी तय करना होगा कि कोई भी इससे छूटना नहीं चाहिए। यूएन महासचिव ने कहा कि विश्व में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक निर्धनता की शिकार हैं। इसलिए आपसी तालमेल बेहद जरूरी है। आधी आबादी को साथ लेकर बढ़ना भी बेहद जरूरी है। लैंगिक विषमताओं को दूर करने के लिये आर्थिक निवेश के तरीके अपनाने होंगे।