सिर्फ फेफड़ों पर ही नहीं हार्ट पर भी असर डाल सकता है कोविड-19, शोध में आया सामने
अध्ययन के नतीजों से जाहिर होता है कि कोरोना के मामूली लक्षण वाले युवा लोगों में हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद भी उनमें यह समस्या बनी रह सकती है।
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) की चपेट में आने वाले लोगों की सेहत पर इस घातक वायरस का दीर्घकालीन प्रभाव पड़ने का खतरा भी पाया जा रहा है। एक नए शोध से पता चला है कि मामूली रूप से संक्रमित होने वाले युवाओं के हृदय और रक्त वाहिनियों पर भी कोरोना का दीर्घकालीन असर पड़ सकता है। हाल में सामने आए एक अध्ययन में दावा किया गया था कि संक्रमण से उबरने के सालभर बाद भी फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है।
अमेरिका की एपलचियन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन के नतीजों से जाहिर होता है कि कोरोना के मामूली लक्षण वाले युवा लोगों में हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। संक्रमण से उबरने के बाद भी उनमें यह समस्या बनी रह सकती है। इस अध्ययन के शोधकर्ता स्टीव रैचफोर्ड ने कहा, 'नतीजों से पता चलता है कि उन युवाओं और खासतौर से स्वस्थ लोगों पर भी कोरोना का दीर्घकालीन असर पड़ सकता है, जो यह मानते हैं कि उन पर इस खतरनाक वायरस का प्रभाव नहीं पड़ सकता है।'
अध्ययन में कोरोना संक्रमण के तीन-चार हफ्ते बाद युवा लोगों की रक्त वाहिनियों में बदलाव पाया गया है। जबकि बुजुर्गों में भी यह समस्या संक्रमण के कुछ माह बाद पाई गई। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि यह वायरस मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली कैरोटिड आर्टरी (धमनी) समेत पूरे शरीर में धमनियों पर नुकसानदेह प्रभाव डाल सकता है। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष कोरोना संक्रमित पाए गए 15 युवाओं पर अध्ययन के आधार पर निकाला है। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के तीन-चार हफ्ते बाद इनकी जांच की गई थी।