कोरोना से संक्रमित और ध्रूमपान करने वाले मरीजों की अस्पताल में हालात हुई अधिक खराब

अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों में 18 फीसद ध्रूमपान करने वाले थे। यह भी पाया गया कि ध्रूमपान और कोरोना मरीज की गंभीर स्थिति में गहरा संबंध है।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 06:00 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 06:00 PM (IST)
कोरोना से संक्रमित और ध्रूमपान करने वाले मरीजों की अस्पताल में हालात हुई अधिक खराब
कोरोना से संक्रमित और ध्रूमपान करने वाले मरीजों की अस्पताल में हालात हुई अधिक खराब

लंदन, एजेंसियां। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोरोना वायरस के उन मरीजों की अस्पतालों में ज्यादा स्थिति खराब हुई है जो ध्रूमपान करते हैं। इसलिए स्पष्ट है धूमपान करना जानलेवा साबित हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के इस स्वास्थ्य संगठन ने गुरुवार को ध्रूमपान और कोविड-19 के बीच संबंध स्थापित करने वाले प्रकाशित 34 शोधों का हवाला देते हुए कहा कि अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों में 18 फीसद ध्रूमपान करने वाले थे। यह भी पाया गया कि ध्रूमपान और कोरोना मरीज की गंभीर स्थिति में गहरा संबंध है। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाना कितना जरूरी है और उनकी मौत का खतरा भी कितना अधिक है इस पर भी नजर रखी जानी चाहिए। हालांकि इन शोधों पर कई वैज्ञानिकों ने सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें निश्चित आंकड़ों की कमी है।

दूसरी ओर, डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक महामारी कोरोना के चलते दक्षिण-पूर्वी एशिया में मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या से बचाव के लिए भी लोगों को सचेत किया है। इस वैश्विक संस्था की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रीपाल सिंह ने कहा कि संक्रमणकाल में इन देशों में लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और स्वास्थ्य व आर्थिक दबाव के चलते लोग मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं।

कोरोनावायरस एक ऐसा नया वायरस है, जिस पर जितनी रिसर्च की जा रही है, उतनी ही कम पड़ रही है। इस वायरस की ताकत दुनिया के 250 से ज्यादा देशों ने देख ली है। इस वायरस से इतने ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, जितने पहले कभी नहीं हुए थे। ये वायरस तरह-तरह से लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है, इसलिए इस पर रिसर्च भी उतनी ही ज्यादा की जा रही है। अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोविड-19 से पूरे तंत्रिका तंत्र को खतरा है। वैज्ञानिकों का ये दावा विभिन्न अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर किया गया है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस जानकारी से सिरदर्द, मिर्गी और स्ट्रोक जैसे तंत्रिका तंत्र में विकार के लक्षणों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। जर्नल ‘एन्नल्स ऑफ न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती करीब 50 फीसदी कोविड-19 मरीजों को सिरदर्द, चक्कर आना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, चौकसी में कमी, सूंघने और स्वाद का अनुभव नहीं होना, स्ट्रोक, कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द जैसे तंत्रिका तंत्र में विकार के लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिका स्थित नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रमुख अनुसंधानकर्ता इगोर कोरलनिक ने कहा कि यह आम लोगों और चिकित्सकों के लिए जानना जरूरी है कि कोविड-19 के संक्रमण का संकेत बुखार, खांसी और सांस संबंधी परेशानियों के लक्षण आने से पहले तंत्रिका तंत्र में विकार के रूप में सामने आता हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना वायरस कई तरीके से तंत्रिका तंत्र में विकार उत्पन्न कर सकता है। बीमारी से दिमाग, मेरुदंड और मांसपेशियां सहित पूरा तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो सकता है। 

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