कोरोना वायरस को रोकने में सक्षम है कपड़े का मास्क, 14 प्रकार के मास्‍क पर किया गया परीक्षण

शोधकर्ताओं के मुताबिक शुरुआती निष्कर्ष बताते हैं कि एन95 मास्क सर्जिकल या पॉलीप्रोपाइलीन मास्क और कपड़े के मास्क बोलने के दौरान छोटी बूंदों को रोकने में सक्षम हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 07:17 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 07:17 PM (IST)
कोरोना वायरस को रोकने में सक्षम है कपड़े का मास्क, 14 प्रकार के मास्‍क पर किया गया परीक्षण
कोरोना वायरस को रोकने में सक्षम है कपड़े का मास्क, 14 प्रकार के मास्‍क पर किया गया परीक्षण

वाशिंगटन, एजेंसी। वैज्ञानिकों ने मास्क की गुणवत्ता का पता लगाने की एक किफायती तकनीक खोजी है। इससे यह पता चला है कि एन95 सहित कपड़े का मास्क भी खांसने और छींकने के दौरान निकले वाले ड्रॉपलेट्स (जिनमें कोरोना वायरस के कण हो सकते हैं) को रोकने में सक्षम है।

जर्नल 'साइंस एडवांसेज' में प्रकाशित यह तकनीक फिलहाल प्रारंभिक चरण में है और इसका बहुत ही सीमित दायरे में परीक्षण किया गया है। अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक शुरुआती निष्कर्ष बताते हैं कि एन95 मास्क, सर्जिकल या पॉलीप्रोपाइलीन मास्क और कपड़े के मास्क बोलने के दौरान छोटी बूंदों को रोकने में सक्षम हैं। 

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 14 अलग-अलग प्रकार के मास्क का परीक्षण किया। अध्ययन के दौरान मास्क पहनाकर चार लोगों को अंधेरे में खड़ा किया गया। इसके बाद इन लोगों ने 'स्वस्थ्य रहें लोग' वाक्य का पांच बार लेजर बीम की दिशा में उच्चारण किया। इस लेजर बीम की खासियत यह थी कि बोलने के दौरान छोड़ी गई ड्रॉपलेट्स पर यह रोशनी बिखेरता था। एक सेलफोन कैमरे ने बूंदों को रिकॉर्ड किया और कंप्यूटर एल्गोरिथ्म ने उन्हें गिना। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष के आधार पर बताया कि बिना वाल्व वाला एन95 मास्क ड्रॉपलेट्स को सबसे अच्छी तरह से रोकता है। हालांकि सर्जिकल, पॉलीप्रोपाइलीन और कपड़े के मास्क भी प्रभावी हैं। 

मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बुरी तरह प्रभावित करता है मोटापा 

हाल ही में ब्रेन इमेजिंग स्टडी से इस बात का पता चला है कि मोटापा ना केवल मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है बल्कि इससे रक्त के प्रवाह में भी कमी आती है। यह स्टडी जर्नल अल्जाइमर डिजीज में प्रकाशित हुआ है। मस्तिष्क की शिथिलता के साथ मोटापे को जोड़ने वाले सबसे बड़े अध्ययनों में से एक में वैज्ञानिकों ने 35 हजार फंक्शनल न्यूरोइमेजिंग स्कैन का विश्लेषण किया। मस्तिष्क में रक्त का कम प्रवाह इस बात का सूचक है कि व्यक्ति में अल्जाइमर रोग विकसित हो रहा है। अध्ययन के प्रमुख लेखक और एमेन क्लीनिक के संस्थापक डैनियल जी ने कहा कि यह अध्ययन बताता है कि अधिक वजन और मोटापे से मस्तिष्क की गतिविधि पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और इससे अल्जाइमर के साथ-साथ अन्य मनोरोगों का खतरा बढ़ जाता है। यह अध्ययन अमेरिका के मानसिक और कॉग्निटिव हेल्थ के लिए चिंताजनक है, क्योंकि वहां 72 फीसद लोगों का वजन मानक से अधिक है। इनमें 42 फीसद लोग मोटे हैं।

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