सैन्य उद्देश्य के लिए चीन ने भारतीय सीमा तक चलाई हाईस्पीड ट्रेन, अरुणाचल प्रदेश से बेहद नजदीक

इस ट्रेन के जरिये पीएलए के कंबाइंड आ‌र्म्स ब्रिगेड के रंगरूट भेजे और बुलाए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन ने सैन्य इस्तेमाल के लिए इतनी ऊंचाई वाले इलाके में रेललाइन विकसित की है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 07:39 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 07:39 AM (IST)
सैन्य उद्देश्य के लिए चीन ने भारतीय सीमा तक चलाई हाईस्पीड ट्रेन, अरुणाचल प्रदेश से बेहद नजदीक
भारतीय सीमा के नजदीक चीनी सेना की पहुंच मजबूत हुई है।

बीजिंग, प्रेट्र। चीन ने तिब्बत इलाके में अपनी पहली हाईस्पीड ट्रेन सैन्य उद्देश्यों के लिए चलाई है। यह बात किसी और ने नहीं बल्कि चीन सरकार द्वारा नियंत्रित समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने कही है। यह हाईस्पीड ट्रेन तिब्बत की राजधानी ल्हासा को निंग्ची से जोड़ती है, जो भारत के अरुणाचल प्रदेश के नजदीक का कस्बा है। बीती 23 जुलाई को इसी ट्रेन से चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग निंग्ची गए थे, जो उनका अप्रत्याशित दौरा था।

यह ट्रेन हाल ही में शुरू हुई है। फिलहाल इसके जरिये पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कंबाइंड आ‌र्म्स ब्रिगेड के रंगरूट भेजे और बुलाए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन ने सैन्य इस्तेमाल के लिए इतनी ऊंचाई वाले इलाके में रेललाइन विकसित की है। इससे भारतीय सीमा के नजदीक चीनी सेना की पहुंच मजबूत हुई है।

वह वहां थोड़े समय में सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर सकती है। 2017 में हुए डोकलाम विवाद के बाद से चीन ने भारत से लगने वाली सीमा के नजदीकी इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का विकास शुरू किया था। मई 2020 के बाद इस कार्य को और तेज कर दिया गया।                                                            

जुलाई के दौरे में चिनफिंग पहले ल्हासा गए थे और उसके बाद ट्रेन से निंग्ची गए थे। यह चीनी राष्ट्रपति का तिब्बत का पहला दौरा था। ल्हासा से निंग्ची का रेल सफर 25 जून को शुरू हुआ है। 435 किलोमीटर लंबे इस रेलमार्ग को रिकार्ड समय में पूरा किया गया है। इस पर 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलती है।

दूसरी तरफ चीन के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख में समुद्र तल से 19300 फीट की ऊंचाई पर सड़क बनाकर विश्व कीर्तिमान बना दिया है। अब इस सड़क से सेना के टैंक और तोप उमलिंगला दर्रे को पार कर जल्द दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चुमार सेक्टर में पहुंच सकेंगे। बहुत ही दुर्गम इलाके में बनी यह सड़क 52 किलोमीटर लंबी है।

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