NATO सम्मेलन में रूस नहीं चीन बना एजेंडा, ड्रैगन की सैन्य क्षमता और 20 लाख सैनिकों से चिंतित हुए विकसित राष्ट्र
अमेरिका की अगुवाई में विकसित राष्ट्रों ने एक सुर में चीन का सबसे बड़ा खतरा बताया है। खास बात यह है शीत युद्ध के दौरान अक्सर नाटो सम्मेलन रूस के प्रतिपक्ष में खड़ा रहता था लेकिन पहली बार नाटो सम्मेलन में चीन का बड़ा खतरा बताया गया है।
ब्रसेल्स, एजेंसी। समृद्ध राष्ट्रों का समूह जी-7 के बाद नाटो शिखर सम्मेलन में भी चीन को घेरने की तैयारी हो रही है। सोमवार को ब्रसेल्स में नाटो के एकदिवसीय सम्मलेन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पहली बार बैठक में शिरकत कर रहे हैं। अमेरिका की अगुवाई में विकसित राष्ट्रों ने एक सुर में चीन को सबसे बड़ा खतरा बताया है। खास बात यह है शीत युद्ध के दौरान अक्सर नाटो सम्मेलन रूस के प्रतिपक्ष में खड़ा रहता था, लेकिन पहली बार नाटो सम्मेलन में चीन को बड़ा खतरा बताया गया है। इस सम्मेलन में नाटो के सदस्य देश एकजुट होकर ताइवान और हांगकांग में मानवाधिकारों के हनन को रोकने को लेकर चीन के खिलाफ दबाव बनाएंगे। इसके साथ चीन की गैर बाजार नीतियों से निपटने का प्लान बनेगा।
नाटो की सबसे बड़ी चिंता नाटो प्रमुख येन्स स्टोल्टनबर्ग ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि चीन के पास इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी फौज है। उन्होंने कहा कि उसके पास करीब 20 लाख सक्रिय सैनिक हैं। नाटो चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं को लेकर लगातार चिंतित है। नाटो चीन की ताकत को अपने सदस्य मुल्कों की सुरक्षा और उनके लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरे के तौर पर देखता है। इसके साथ नाटो के सदस्य देशों ने कोविड-19 की उत्पत्ति की पारदर्शी जांच की मांग को दोहराया। नाटो शिखर सम्मेलन के बयान में कहा गया है कि चीन की महत्वाकांक्षा और हठधर्मिता, दुनिया में अतंरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित व्यवस्था को चुनौती पेश करती हैं। स्टोल्टनबर्ग ने कहा कि नाटो को एक गठबंधन के रूप में चीन के ताकतवर होने से आ रही चुनौतियों का भी सामना करना है। चीन दुनिया की प्रमुख सैन्य और आर्थिक शक्ति है। इसकी राजनीति, रोजमर्रा की जिंदगी और समाज पर सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की मजबूत पकड़ है। उन्होंने कहा कि नाटो चीन के व्यवहार में पारदर्शिता की कमी और दुष्प्रचार के इस्तेमाल से चिंतित है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि चीन की बात आती है तो मुझे लगता है कि इस टेबल पर बैठा कोई भी चीन के साथ नए शीत युद्ध में जाना चाहता है। हाल के वर्षों में चीन ने अफ्रीका में अपनी गतिविधियों को बढ़ाया है। उसने अफ्रीका में सैन्य ठिकाने भी बनाए हैं।
चीन ने नाटो पर बदनाम करने का लगाया आरोप
उधर, चीन ने नाटो पर बदनाम करने का आरोप लगाया है। चीन ने कहा कि उसकी सुरक्षा रक्षात्मक प्रकृति की है। उसने नाटो से निवेदन किया है कि वह बातचीत को बढ़ाने में अपनी ऊर्जा खर्च करे। चीन ने बयान जारी कर कहा है कि हमारा रक्षा और सैन्य आधुनिकीकरण को बढ़ाना उचित, खुला और पारदर्शी है। चीन की ओर से कहा गया है कि नाटो सदस्य देशों को चाहिए कि वो चीन के विकास को तर्कसंगत ढंग से देखे। वह गुटीय राजनीति में हेरफेर करने, टकराव पैदा करने और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए चीन के वैध हितों और अधिकारों का बहाना न बनाए।