वुहान से लाए गए डब्ल्यूएचओ के ब्रिटिश वैज्ञानिक, कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने गए थे

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम के ब्रिटिश सदस्य डॉ. पीटर डासजक को वुहान से निकाल लिया गया है। वह वुहान में वैश्विक महामारी के स्रोतों का पता करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के समर्थित आयोग के रूप में गए थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 08:07 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 08:14 PM (IST)
वुहान से लाए गए डब्ल्यूएचओ के ब्रिटिश वैज्ञानिक, कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने गए थे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम के ब्रिटिश सदस्य डॉ. पीटर डासजक को वुहान से निकाल लिया गया है।

वाशिंगटन, एएनआइ। चीन के वुहान में वायरस लीक की थ्योरी पुख्ता होती नजर आने के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम के ब्रिटिश सदस्य डॉ. पीटर डासजक को वुहान से निकाल लिया गया है। वह वुहान में वैश्विक महामारी के स्रोतों का पता करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के समर्थित आयोग के रूप में गए थे। न्यूयार्क पोस्ट के अनुसार न्यूयार्क में केंद्रित नॉन प्राफिट इकोहेल्थ एलायंस के अध्यक्ष डॉ. डासजक ने सैकड़ों हजार डालर की ग्रांट चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी को भेज दी थी।

डासजक ने इस साल फरवरी में डब्ल्यूएचओ की उस थ्योरी को नकार दिया जिसके मुताबिक डब्ल्यूएचओ की 'लैब लीक' की थ्योरी को सही माना गया था। चीनी वैज्ञानिकों के पक्ष में शुरुआती जांच का अमेरिका, ब्रिटेन और नए देशों ने कड़ा विरोध किया है।

उल्‍लेखनीय है कि पिछले हफ्ते चीन की वायरोलाजिस्ट और 'बैट वुमेन' के नाम से कुख्यात शी झेंगली ने इस बात से इनकार किया था कि उनकी लैब से कोरोना के वायरस लीक हुए हैं। उन्होंने एक टेक्सट मैसेज में कहा कि मुझे नहीं पता दुनिया इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंची? एक निर्दोष विज्ञानी पर कींचड़ उछाला जा रहा है।

60 फीसद अमेरिकी लैब से वायरस लीक के समर्थक

इस बीच न्यूज एजेंसी एएनआइ ने फाक्स न्यूज के कराए सर्वे में बताया कि साठ फीसद अमेरिकी नागरिक मानते हैं कि कोरोना वायरस को चीन में वुहान की लैब में पहले तो बनाया गया और फिर जानबूझकर लीक किया गया। जबकि 31 फीसद अमेरिकी सोचते हैं कि यह जानलेवा वायरस प्रकृति की देन है। इसके अलावा, 50 फीसद अमेरिकी मानते हैं कि इस वैश्विक महामारी ने अमेरिकियों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। वहीं 41 फीसद अमेरिकियों का मानना है कि यह बदलाव कुछ समय के लिए ही है। यह सर्वेक्षण 19 जून और 22 जून के बीच 1001 अमेरिकी नागरिकों पर किया गया था। 

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