व्हाइट हाउस में बाइडन और गनी की होगी मुलाकात, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी जारी
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बीच काबुल के राष्ट्रपति अशरफ गनी इस सप्ताह व्हाइट हाउस में जो बाइडन से मिलने वाले हैं। इसमें अब्दुल्ला अब्दुल्ला भी शामिल हो रहे हैं। अब तक इस मीटिंग का एजेंडा स्पष्ट नहीं है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (US President Joe Biden) अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Afghan President Ashraf Ghani) और शांति के लिए उच्चायोग के CEO डॉक्टर अब्दुल्ला अब्दुल्ला (Dr Abdullah Abdullah) से व्हाइट हाउस में 25 जून को मुलाकात करेंगे इसकी जानकारी राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने दी। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी (Jen Psaki) ने रविवार को बताया, ' अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच राष्ट्रपति गनी और डॉक्टर अब्दुल्ला का यहां आना अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच गहरी साझीदारी को दर्शाएगा।' उन्होंने बताया कि अमेरिका अफगानिस्तान को अब आतंकियों का ठिकाना बनने नहीं देगा और यह काबुल को राजनयिक, आर्थिक और मानवीय सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, 'बाइडन 25 जून को व्हाइट हाउस में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और राष्ट्रीय सुलह उच्च परिषद के अध्यक्ष डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।' साकी ने आगे बताया कि अमेरिका, अफगान महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों सहित अफगान नागरिकों का समर्थन करने के लिए राजनयिक, आर्थिक और मानवीय सहायता प्रदान करने को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान सरकार के साथ संवाद बनाए रखेगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश फिर से उन आतंकवादी समूहों के लिए पनाहगाह न बन जाए, जो अमेरिका के लिए खतरा पैदा करते हैं। जेन साकी ने कहा, 'अमेरिका जारी शांति प्रक्रिया का पूरी तरह से समर्थन करता है और सभी अफगान पक्षों को संघर्ष समाप्त करने के लिए वार्ता में सार्थक रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।'
इन दो देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब तालिबान और अफगान सेनाओं के बीच संघर्ष चरम पर है। तालिबान अफगानिस्तान में एक बाद एक जिलों पर कब्जा करता जा रहा है। जेन साकी ने अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका की ओर से प्रतिबद्धता जताई और कहा कि हम अफगानिस्तान के साथ हैं और इस बात को सुनिश्चिचित करते हैं कि इस बात का प्रयास रहेगा कि वहां दोबारा आतंकवादी कब्जा न कर सकें।