पाकिस्तान को सबक सिखाने की तैयारी में अमेरिका, खत्म कर सकता है गैर-नाटो सहयोगी देश का दर्जा

9/11 हमले के बाद से अब तक पाकिस्तान ने जिस तरह से तालिबान को खड़ा करने में संरक्षण मदद और अपनी जमीन उपलब्ध कराई है। इसको लेकर विदेश मंत्री को अमेरिकी सांसदों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 01:51 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 02:39 PM (IST)
पाकिस्तान को सबक सिखाने की तैयारी में अमेरिका, खत्म कर सकता है गैर-नाटो सहयोगी देश का दर्जा
अफगानिस्तान में पिछले बीस वर्षो में पाक की भूमिका की जांच करेगा अमेरिका।

वाशिगंटन, प्रेट्र। तालिबान की खुले आम मदद करने वाला पाकिस्तान अब अमेरिका के निशाने पर है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि पाकिस्तान की पिछले बीस साल के दौरान की भूमिका की जांच की जाएगी। इसके साथ ही गैर नाटो सहयोगी के रूप में पाकिस्तान को मिला दर्जा खत्म करने की मांग उठी है।

9/11 हमले के बाद से अब तक पाकिस्तान ने जिस तरह से तालिबान को खड़ा करने में संरक्षण, मदद और अपनी जमीन उपलब्ध कराई है। इसको लेकर विदेश मंत्री को अमेरिकी सांसदों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा है। पाक की भूमिका को लेकर भड़के सांसदों को बाइडन प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि इस देश की दोहरी भूमिका की जांच की जाएगी और जरूरत पड़ी तो कार्रवाई करेंगे।

टेक्सास से डेमोक्रेट सांसद जोक्विन कास्ट्रो ने बाइडन प्रशासन ने मांग की है कि गैर नाटो सहयोगी के रूप में अब तक पाकिस्तान का जो दर्जा है, उसे समाप्त कर दिया जाए। इस मांग का कई अन्य सांसदों ने समर्थन किया। सांसदों ने कहा कि पाकिस्तान से जिस तरह से तालिबान को पाला-पोसा ऐसी स्थिति में उसे सहयोगी मानना बड़ी भूल होगी।

एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने बताया कि उन्हें क्या पता था कि अशरफ गनी इस तरह से देश छोड़कर भाग जाएंगे। गनी से उनकी वार्ता 14 अगस्त को हुई थी। उस वार्ता में उन्होंने मौत तक से लड़ने की बात की थी।

संसद में विदेशी मामलों की उपसमिति के सदस्यों सहित कई सांसदों ने कहा कि पाकिस्तान ने अफगान मामले में हमेशा नकारात्मक भूमिका निभाई है। उसके हक्कानी नेटवर्क के साथ हमेशा से ही मजबूत संबंध रहे हैं। पाकिस्तान ही अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की मौत का जिम्मेदार है।

एपी के अनुसार, अफगान मामले में विदेश मंत्री ब्लिंकन को रिपब्लिकन सांसदों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। उनका जवाब था कि एक समझौता बाइडन प्रशासन को विरासत में ही मिला था।

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