COVID-19 से निपटने में विफल रहे चीन ने हताशा छिपाने के लिए LAC पर की द्वेषपूर्ण हरकत
COVID-19 के प्रकोप को प्रभावी ढंग से संभाल पाने में विफल रहा चीन काफी हताश है। उन्होंने कहा कि अपने आप को मजबूत दिखाने की उत्सुकता में चीन ने पूर्वी लद्दाख में सेना को उकसाने की कार्रवाई की है।
वाशिंगटन, एजेंसी। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीजिंग की कार्रवाई ने पिछले वर्षों के दौरान भारत-चीन के बीच बने सौहार्दपूर्ण रिश्तों में एक दरार पैदा की है। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की इस खूनी संघर्ष से दोनों देशों के बीच अविश्वास की एक बड़ी खाई पैदा हुई है। उक्त बातें एक चीनी असंतुष्ट और एक पूर्व कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के पुत्र जियानली यांग ने कही। न्यूजवीक में अपनी राय व्यक्त करते हुए सिटीजन पावर इनिशिएटिव्स के संस्थापक जियानली ने कहा कि कोरोना महामारी के प्रकोप को प्रभावी ढंग से संभाल पाने में विफल रहा चीन काफी हताश है। उन्होंने कहा कि अपने आप को मजबूत दिखाने की उत्सुकता में चीन ने पूर्वी लद्दाख में सेना को उकसाने की कार्रवाई की है।
दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों में पैदा हुआ अविश्वास
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में वुहान में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठकों के परिणाम दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध विकसित हुए। जियानली के अनुसार चीन केवल अपने मजबूत होने की चिंता में भारत के साथ अविश्वसनीय पक्ष प्रकट किया है। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सैन्य, कूटनीतिक एवं प्रौद्योगिकी उपयों को अपनाया है। इसके साथ भारत को अन्य मुल्कों का भी समर्थन हासिल हुआ है। दुनिया के अन्य मुल्कों ने भी हिमालयी क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध किया है। खुद अमेरिका ने चीन के इस कदम की निंदा की है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इसे अविश्वसनीय और चीन की आक्रामक कार्रवाई की निंदा की थी।
टकराव के बाद भारत की सद्भावना खोने से चिंतित रूस
जियानली का मानना है कि चीन अब सचेत हो गया है। उसे इस बात का इल्म है कि गलवन घाटी में टकराव के बाद भारत ऐसा रास्ता अपना सकता है, जो चीन के हित में नहीं हो। जियानली ने कहा कि भारत की सद्भावना खोने की आशंका पर बीजिंग में असुरक्षा की भावना है। यही कारण है कि उसने ग्लोबन टाइम्स के संपादकीय में भारत को यह समझाने की कोशिश की कि चीन कभी भी भारत के साथ संबंधों में 'भेडि़या' नहीं रहा यानी चालबाज नहीं रहा है। चीन की यह आशंका चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र में भी दिखती है।
सीसीपी के खिलाफ भारत बनाए महागठबंधन
जियानली ने सुझाव दिया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत को सीसीपी के खिलाफ एक महागठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को एशियाई लोकतांत्रिक देशों का एक गठबंधन बनाना चाहिए। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत को इस गठबंधन का नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए। गठबंधन बनने के बाद चीन एशियाई लोकतांत्रिक देशों के लिए एक बुरा स्वपन बन जाएगा।