रक्षा मंत्री आस्टिन बोले- अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान पूरा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी कही बड़ी बात

अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन बोले अमेरिका के लिए चीन से चुनौती बढ़ती जा रही है। आस्टिन ने कहा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए मुझे इस बात को लेकर चिंता है कि कुछ ऐसा हो सकता है जिसके कारण वहां संकट पैदा हो सकता है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 04:48 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 05:03 PM (IST)
रक्षा मंत्री आस्टिन बोले- अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान पूरा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी कही बड़ी बात
रक्षा मंत्री आस्टिन बोले- अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान पूरा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी कही बड़ी बात

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान पूरा हो गया है। इसलिए उनका विभाग इस देश से अपने लोगों और साजो-सामान को वापस लाने पर ध्यान केंद्रीत कर रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने गत अप्रैल में एलान किया था कि 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो जाएगी।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन खतरनाक

अमेरिका के लिए चीन से चुनौती बढ़ती जा रही है। सामरिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके बढ़ते आक्रामक रवैये से गंभीर संकट पैदा हो सकता है। इससे अमेरिका चिंतित है।

आस्टिन ने एक संसदीय समिति के समक्ष यह बात कही। वह संसद के ऊपरी सदन सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष गुरुवार को पेश हुए। यह समिति अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के सालाना बजट को लेकर सुनवाई कर रही है। एक सवाल पर आस्टिन ने कहा, 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए मुझे इस बात को लेकर चिंता है कि कुछ ऐसा हो सकता है, जिसके कारण वहां संकट पैदा हो सकता है। हम चाहते हैं कि अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ ही शत्रुओं से भी बात करने की हमारे पास क्षमता हो।' इससे पहले चीनी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि उनका देश अमेरिका के साथ बिना टकराव और परस्पर सम्मान वाला संबंध चाहता है। लेकिन चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और हितों की रक्षा करना जारी रखेगा।

बता दें कि चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। उसने इस विवादित क्षेत्र के कई द्वीपों पर सैन्य अड्डे बना दिए हैं। ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम इसका विरोध करते हैं। जबकि अमेरिका स्वतंत्र आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में अपने नौसैनिक पोतों को भेजता रहता है।

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