सोशल मीडिया से फेक न्यूज हटाएगा AI, असंख्य गलत खबरों को सात वर्गों में किया गया विभाजित

फेक न्यूज व्याकरण और तथ्यों के मामले में कमजोर होती हैं। उनमें भावनात्मक अपील होती है भ्रामक शीर्षक और तमाम तरह के दावे होते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 07:44 PM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 07:47 PM (IST)
सोशल मीडिया से फेक न्यूज हटाएगा AI, असंख्य गलत खबरों को सात वर्गों में किया गया विभाजित
सोशल मीडिया से फेक न्यूज हटाएगा AI, असंख्य गलत खबरों को सात वर्गों में किया गया विभाजित

वाशिंगटन, प्रेट्र। वर्तमान में सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहीं फेक न्यूज एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। कई देशों की सरकारें इनपर लगाम कसने के लिए कड़े आइटी कानून बना रही हैं। यह फेक न्यूज भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश के लिए भी बड़ा खतरा है। वर्तमान में शोधकर्ता एक ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) से लैस सिस्टम पर काम कर रहे हैं जो फेक न्यूज पर अपने आप लगाम कस सके।

अमेरिका की पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एल्गोरिद्म तैयार करने के लिए फेक न्यूज के असंख्य उदाहरणों को सात वर्गो में विभाजित किया है। इसमें गलत समाचार, ध्रुवीकृत सामग्री, व्यंग, गलत बयानबाजी, टिप्पणी, प्रेरक जानकारी और नागरिक पत्रकारिता को शामिल किया गया है।

'अमेरिकन बिहैवियरल साइंटिस्ट' नामक जर्नल में इस अध्ययन को प्रकाशित किया गया है। पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एस श्याम सुंदर ने बताया कि वर्तमान में सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित हो रहीं फेक न्यूज से इस प्लेटफार्म का दुरुपयोग हो रहा है। इस वजह से बहुत से विद्वान इन प्लेटफार्मो से दूर जा रहे हैं।

वास्तविक और फेक न्यूज में होतीं हैं तमाम विभिन्नताएं

शोधकर्ताओं ने पाया कि वास्तविक समाचारों में विशेषताएं होती हैं, जो इसे नकली समाचारों की विभिन्न श्रेणियों से अलग करती हैं। वास्तविक समाचारों की पत्रकारिता शैली अलग होती है। वहीं, फेक न्यूज व्याकरण और तथ्यों के मामले में कमजोर होती हैं। उनमें भावनात्मक अपील होती है, भ्रामक शीर्षक और तमाम तरह के दावे होते हैं।

इसके साथ ही वास्तविक खबरों और फेक न्यूज के स्रोत भी भिन्न होते हैं। अध्ययन में विभिन्न साइट की संरचना में भी भिन्नता देखी गई। जैसे की फेक न्यूज वाली साइटों 'कांटैक्ट अस' का कॉलम न होना, गैर-मानक वेब एड्रेस होना इत्यादि।

खुद से फेक न्यूज पकड़ने के लिए होना होगा जागरुक

पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की डॉक्टोरल कंडीडेट मारिया मोलिना का कहना है कि लोगों को खुद से फेक न्यूज पकड़ने के लिए जागरूक होना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें खुद ही संदेश के स्रोत का पता लगना, उसकी पहचान करना आदि करना होगा। उन्होंने कहा कि इससे उन वैज्ञानिकों को भी मदद मिलेगी जो एआइ से लैस ऐसा सिस्टम बना रहे हैं जो एक दिन खुद ही फेक न्यूज का प्रसार रोक देगा।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे मीडिया परिवेश में कई अलग-अलग तरह के समाचार प्राप्त होते हैं। हालांकि, वे सभी एक जैसे ही प्रारूप में प्राप्त होते हैं इसलिए आम इंसान के लिए फेक और वास्तविक समाचार में भेद करना मुश्किल हो जाता है।

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