ग्लोबल हैंडवाशिंग डे पर बोला यूनिसेफ- दस में तीन लोगों के पास वैश्विक स्तर पर घरों में हाथ घोने की बेसिक सुविधा नहीं

यूनिसेफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 10 में से तीन लोगों के पास घरों में हाथ धोने की बेसिक सुविधा उपलब्ध नहीं है। यूनिसेफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 10 में से तीन लोगों या 2.3 अरब लोगों के पास हाथ धोने के लिए पानी और साबुन नहीं।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 03:04 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 03:04 PM (IST)
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे पर बोला यूनिसेफ- दस में  तीन लोगों के पास वैश्विक स्तर पर घरों में हाथ घोने की बेसिक सुविधा नहीं
यूनिसेफ- दस में तीन लोगों के पास वैश्विक स्तर पर घरों में हाथ घोने की बेसिक सुविधा नहीं

संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। यूनिसेफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर दस में से तीन लोगों के पास घरों में हाथ धोने की बेसिक सुविधा उपलब्ध नहीं है। यूनिसेफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर दस में से तीन लोगों या 2.3 अरब लोगों के पास हाथ धोने के लिए पानी और साबुन नहीं है और यह स्थिति विकसीत देशों में सबसे खराब है, जहां पर दस में से छह लोग बेसिक सुविधा के बिना रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने ग्लोबल हैंडवाशिंग डे पर यह बयान दिया। 

नवीनतम अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में पांच में से दो स्कूलों में पानी और साबुन के साथ बुनियादी स्वच्छता सेवाएं नहीं हैं, जिससे 818 मिलियन छात्र प्रभावित होते हैं, जिनमें से 462 बिना किसी सुविधा के स्कूलों में जाते हैं। 10 में से 7 देश के स्कूलों में बच्चों के लिए हाथ धोने की कोई सुविधा नहीं है। दुनिया भर में एक तिहाई स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में हाथ की स्वच्छता की सुविधा नहीं है, जहां रोगी रोजाना स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता के संपर्क में आता रहता है। हालांकि, नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 के बाद से कुछ प्रगति हुई है।

घर पर बुनियादी हाथ स्वच्छता तक पहुंच रखने वाली वैश्विक आबादी 5 अरब से बढ़कर 5.5 अरब या 67 प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, अगर मौजूदा रुझान जारी रहता है, तो दशक के अंत तक 1.9 अरब लोगों की बुनियादी हाथ स्वच्छता तक पहुंच नहीं होगी।

2030 तक दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में से 46 में सभी घरों में हाथ की स्वच्छता प्रदान करने की लागत अनुमानित 11 अरब डालर है। यूनिसेफ वाश के निदेशक केली एन नायलर ने एक बयान में कहा कि कोरोना महामारी ने वैश्विक स्तर पर हाथों की स्वच्छता के लिए लोगों को जागरुक किया है। इसके बाद भी कई देशों में अभी भी स्थिति ठीक नहीं है।

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