नए वीजा नियमों के विरोध में उतरे 180 अमेरिकी शिक्षण संस्थान, ट्रंप का फैसला पहुंचा अदालत

ड्यूक यूनिवर्सिटी की छात्रा शोभना मुखर्जी ने कहा यहां आए स्टूडेंट्स के लिए यह बड़ा झटका है। हमने यहां रहने की कानूनी वैधता अचानक खो दी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 08:48 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 08:48 PM (IST)
नए वीजा नियमों के विरोध में उतरे 180 अमेरिकी शिक्षण संस्थान, ट्रंप का फैसला पहुंचा अदालत
नए वीजा नियमों के विरोध में उतरे 180 अमेरिकी शिक्षण संस्थान, ट्रंप का फैसला पहुंचा अदालत

वाशिंगटन, आइएएनएस। अमेरिका के 180 शैक्षणिक संस्थानों ने ट्रंप प्रशासन के नए वीजा नियमों के खिलाफ हाथ मिला लिया है। इस फैसले को अदालत में चुनौती दी गई है।

एफ-1 व एम-1 वीजा का तुगलकी फरमान

अमेरिका के इमीग्रेशन एंड कस्टम्स इनफोर्समेंट (आइसीई) विभाग ने छह जुलाई को एफ-1 व एम-1 वीजा के लिए नई गाइडलाइन जारी करते हुए यह फरमान सुनाया था कि कोरोना संकट के चलते जिन विदेशी छात्रों का पाठ्यक्रम सिर्फ ऑनलाइन कक्षाओं तक सिमट गया है, उन्हें अमेरिका से जाना होगा, वरना उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है।

ट्रंप प्रशासन के तुगलकी फरमान से शैक्षणिक संस्थानों का चढ़ गया पारा

इस तुगलकी फैसले से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों का पारा चढ़ गया। इन दोनों संस्थानों ने इस फैसले के खिलाफ अदालत जाने का फैसला किया तो देशभर के कुल 180 शैक्षणिक संस्थान साथ आ गए। 41 प्रांतों में स्थित इन शैक्षणिक संस्थानों से करीब 50 लाख छात्र जुड़े हुए हैं।

ट्रंप प्रशासन का फैसला विदेशी छात्रों की पढ़ाई बाधित करने वाला कदम है

इन उच्च शैक्षणिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था प्रेसीडेंट्स एलायंस ऑन हायर एजूकेशन एंड इमीग्रेशन की कार्यकारी निदेशक मरियम फेल्डब्लम ने ग्रुप की वेबसाइट पर 22 पेज का दस्तावेज जारी करते हुए कहा है कि ट्रंप प्रशासन का फैसला विदेशी छात्रों की पढ़ाई बाधित करने और अमेरिका की छवि खराब करने वाला कदम है। इस फैसले के खिलाफ हजारों लोगों के हस्ताक्षर जुटाए गए हैं। यह एक क्रूर और गैरजरूरी फैसला है। वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया भी आइसीई के खिलाफ मुकदमा दायर करने की तैयारी में है।

चिंता में डूबे हैं भारतीय छात्र

अमेरिकी प्रशासन ने नए वीजा नियम तो लागू कर दिए, लेकिन उसे इस बात का रत्तीभर भी अंदाजा नहीं कि वहां रह रहे भारतीय छात्रों पर क्या बीत रही है। वैश्विक संकट के बीच प्रत्यर्पण का डर, कर्ज चुकाने की चिंता, कोरोना संक्रमित होने का खतरा, सेमेस्टर ड्रॉप की आशंका और वापस लौटने की नाउम्मीदी ने भारतीय छात्रों की नींद गायब कर दी है।

स्टूडेंट्स के लिए बड़ा झटका, अमेरिका में रहने की कानूनी वैधता खत्म

ड्यूक यूनिवर्सिटी की छात्रा शोभना मुखर्जी ने कहा, लंबे समय के लिए यहां आए स्टूडेंट्स के लिए यह बड़ा झटका है। हमने यहां रहने की कानूनी वैधता अचानक खो दी है। ऐसे में एजुकेशन लोन का क्या होगा? अगर मुझे वापस भेज दिया गया तो क्या कभी मेरी वापसी हो पाएगी? इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। फिलहाल, गहरी चिंता में डूबे भारतीय छात्र किसी अच्छी खबर की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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