चिंताजनक आंकड़े: भारत में प्रत्येक 10 वयस्कों में एक हाइपोथायरॉयडिज्म से पीड़ित

भारत में प्रत्येक 10 वयस्कों में एक हाइपोथायरॉयडिज्म से पीड़ित देश में इसका प्रसार दर 10.95 फीसद कोलकाता में यह सबसे ज्यादा 21.67 फीसद दिल्ली 11.07 फीसद के साथ दूसरे व अहमदाबाद 10.61 फीसद के साथ तीसरे स्थान पर ।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 02:49 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 02:55 PM (IST)
चिंताजनक आंकड़े: भारत में प्रत्येक 10 वयस्कों में एक हाइपोथायरॉयडिज्म से पीड़ित
भारत में प्रत्येक 10 वयस्कों में एक हाइपोथायरॉयडिज्म से पीड़ित

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। भारत में प्रत्येक 10 वयस्कों में कम से कम एक हाइपोथायरॉयडिज्म (अंडरएक्टिव थायरॉयड डिसऑर्डर) से पीड़ित है। भारत के आठ प्रमुख शहरों में किए गए अध्ययन में यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है। कोलकाता में यह दर सबसे ज्यादा 21.67 फीसद है। दिल्ली 11.07 फीसद के साथ दूसरे और अहमदाबाद 10.61 फीसद के साथ तीसरे स्थान पर है। चेन्नई में 9.77 फीसद, मुंबई में 9.61 फीसद, बेंगलुरु में 9.23 फीसद, हैदराबाद में 8.88 फीसद और गोवा में 7.04 फीसद वयस्क हाइपोथायरॉयडिज्म से पीड़ित पाए गए हैं।

अबॉट की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. श्रीरूपा दास ने बताया कि भारत में इसका प्रसार दर 10.95 फीसद है, जो विकसित देशों की तुलना में कहीं ज्यादा है। विकसित देशों में यह दो से पांच फीसद के बीच है। यह बीमारी बहुधा आनुवंशिक होती है। किसी परिवार में अगर थायरॉयड का इतिहास रहा है तो उसके सदस्य को हाइपोथायरॉयडिज्म की आशंका अधिक है।

उन्होंने आगे कहा कि 'पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हाइपोथायरॉयडिज्म का खतरा तीन गुना अधिक है, जिससे वे बांझपन और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की शिकार हो सकती हैं।है। गर्भवती महिलाओं को एनीमिया, प्रीक्लेम्पसिया, गर्भपात और प्रसवोत्तर रक्तस्राव का जोखिम होता है। नियमित रूप से परीक्षण करवा इससे बचा जा सकता है। 

कब होता है हाइपोथायरॉयडिज्म

थायरॉयड ग्रंथि शरीर के चयापचय, वृद्धि और विकास में प्रमुख भूमिका निभाती है और ऊर्जा के स्तर, वजन, हृदय गति और मनोदशा सहित कई कार्यों को नियंत्रित करती है। हाइपोथायरॉयडिज्म तब होता है, जब थायरॉयड ग्रंथि शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है।

पीयरलेस हॉस्पिटल, कोलकाता के कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. कल्याण कुमार गंगोपाध्याय ने कहा-'35 वर्ष व उससे अधिक आयु के वयस्क, गर्भवती महिलाएं और विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं को उच्च जोखिम होता है और यदि थायरॉयड का इलाज नहीं किया जाता है तो अतिरिक्त जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। हाइपोथायरॉयडिज्म के परिणामस्वरूप मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी सहवर्ती बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। 

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