World Environment Day 2021: बेकार पड़े तबलों को दे दिया खूबसूरत गमलों का रूप!
World Environment Day 2021 अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तबला वादक पंडित प्रद्युत मुखर्जी ने विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में हरियाली को बढ़ावा देने को की अभिनव पहल। बेकार पड़े तबलों को सुंदर गमलों का रूप दे दिया है और उन्हें ग्रीन तबला नाम दिया है।
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तबला वादक पंडित प्रद्युत मुखर्जी ने विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए अभिनव पहल की है। उन्होंने अपने बेकार पड़े तबलों को सुंदर गमलों का रूप दे दिया है और उन्हें 'ग्रीन तबला' नाम दिया है। इन तबलों को उन्होंने हावड़ा के शिवपुर इलाके में स्थित अपने घर के कमरे व छत पर सजाया है।
मित्र सुदीप्त चंद ने यह आइडिया दिया
2016 में एशिया के सबसे बड़े संगीत पुरस्कार 'जीमा अवार्ड' से सम्मानित हो चुके पंडित प्रद्युत मुखर्जी ने बताया-' मुझे मेरे मित्र सुदीप्त चंद ने यह आइडिया दिया। मेरे घर में ऐसे छह-सात तबले पड़े हुए थे, जिनका मैं इस्तेमाल नहीं कर रहा था। उन तबलों के ऊपर के चमड़े के आवरण को काटकर मैंने उनमें मिट्टी भर दी और उन्हें गमलों का रूप दे दिया। मैंने इन्हें ग्रीन तबला नाम दिया है।' पंडित मुखर्जी ने आगे कहा-' इन तबलों के साथ मेरी बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं। अब ये गमलों की शक्ल लेकर मेरे नजरों के पास ही रहेंगे।
पर्यावरण दिवस पर मेरा जन्मदिन भी है
पांच जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस पर मेरा जन्मदिन भी है। इस दिन इस तरह की पहल करके मुझे बहुत खुशी हो रही है। ये गमले मेरे ड्राइंग रूम की आंतरिक सजावट की शोभा बढ़ा रहे हैं। साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। पंडित प्रद्युत मुखर्जी ने कहा कि पर्यावरण को बचाना बेहद जरूरी है और यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है इस तरह की छोटी-छोटी व अभिनव पहल से हरियाली को बढ़ावा दिया जा सकता है। हाल में आए चक्रवात 'यास' से हरियाली को काफी नुकसान पहुंचा है। बड़ी संख्या में पेड़-पौधे उखड़ गए।
अब तेजी से हरियाली बढ़ाने की जरूरत है। तबले की तरह घर में पड़ी अन्य बेकार चीजों को भी गमलों का रूप दिया जा सकता है। इससे रचनात्मकता भी बढ़ेगी और बेकार पड़ी चीजों का फिर से इस्तेमाल भी हो पाएगा।