West Bengal: एक घंटे में फंगस का पता लगाएगी दुनिया की सबसे सस्ती देसी टेस्ट किट

West Bengal बाजार में अब भारत में निर्मित दुनिया की सबसे सस्ती ब्लैक फंगस टेस्ट किट आ गई है जिसकी कीमत महज 1000 रुपये है। कोलकाता की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी जीसीसी बायोटेक के विज्ञानियों ने इसका इजाद किया। यह ब्लैक फंगस टेस्ट किट बनाने वाली देश की पहली कंपनी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 11 Jul 2021 07:20 PM (IST) Updated:Sun, 11 Jul 2021 07:20 PM (IST)
West Bengal: एक घंटे में फंगस का पता लगाएगी दुनिया की सबसे सस्ती देसी टेस्ट किट
बाजार में आई दुनिया की सबसे सस्ती देसी ब्लैक फंगस टेस्ट किट। फाइल फोटो

कोलकाता, इंद्रजीत सिंह। देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ पिछले दिनों ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के भी अनेक मामले सामने आए हैं। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, देश में 40 हजार से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। विशेषज्ञ इस बीमारी को काफी गंभीर मान रहे हैं। म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज के साथ इसके परीक्षण की लागत काफी अधिक है। बाजार में फिलहाल मौजूद आयातित ब्लैक फंगस टेस्ट किट की कीमत 7000 रुपये है, जो हर किसी के लिए वहनयोग्य नहीं है। आम लोगों के लिए खुशखबरी है। बाजार में अब भारत में निर्मित दुनिया की सबसे सस्ती ब्लैक फंगस टेस्ट किट आ गई है, जिसकी कीमत महज 1000 रुपये है। कोलकाता की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी जीसीसी बायोटेक के विज्ञानियों ने इसका इजाद किया है। यह ब्लैक फंगस टेस्ट किट बनाने वाली देश की पहली कंपनी है।

इस सिलसिले में जीसीसी बायोटेक के प्रबंध निदेशक राजा मजूमदार ने दावा किया कि कंपनी के शोधकर्ताओं ने घातक ब्लैक फंगस की पहचान के लिए दुनिया की सबसे सस्ती परीक्षण किट बनाने में कामयाबी हासिल की है। शोध के दौरान कलकत्ता विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने किट की गुणवत्ता की जांच की है तथा इसकी पुष्टि की है। नई टेस्ट किट को ड्रग काउंसिल ने भी मंजूरी दे दी है। किट का नाम डायगश्योर म्यूकोरमाइकोसिस डिटेक्शन किट है। राजा मजूमदार ने कहा कि बाजार में फिलहाल मौजूद म्यूकोरमाइकोसिस के परीक्षण की आयातित किट (डच किट) कीमत 7,000 रुपये है, लेकिन इस नई देसी किट की कीमत महज 1000 रुपये होगी, जो काफी सस्ती है। कंपनी ने इसका वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर दिया है और उसके पास लगभग 10 लाख कीट तैयार हैं। किट बाजार में भी उपलब्ध हैं। जीसीसी बायोटेक ने देश की विभिन्न राज्यों सरकारों के साथ सरकारी व गैर सरकारी डायग्नोसिस कंपनियों को कीट आपूर्ति करने के लिए संपर्क किया है।

टेस्ट के लिए स्वैब का नमूना लिया जाएगा

कलकत्ता विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर कौस्तव पांडा ने बताया कि यह परीक्षण किट अधिकांश (95 फीसद ) बलगम या फंगस की पहचान कर सकती है। इनमें मुख्यतः तीन तरह के फंगस होते हैं। जबकि आयातित किट 65 फीसद बलगम या फंगस की पहचान कर सकती है। इसके अलावा आयातित किट दरअसल रिसर्च किट है जबकि जीसीसी बायोटेक की किट डायग्नोस्टिक किट है। नई परीक्षण किट में भी कोविड टेस्ट की तरह ही स्वैब का नमूना लिया जाएगा। एक घंटे के भीतर नतीजे मिल जाएंगे। प्रोफेसर पांडा ने कहा कि कोविड परीक्षण के दौरान ब्लैक फंगस का भी परीक्षण करना बेहतर है। मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण का जितना जल्दी पता चल जाए उनका इलाज उतना ही आसान हो जाता है और जान बचाने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है। 

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